आपकी आँखें लाल हो गई हैं, इनमें जलन हो रही है और कीचड़ भी निकल रहा है? हो सकता है आप कंजंक्टिवाइटिस के शिकार हो गए हैं। कंजंक्टिवाइटिस या आई फ्लू एक संक्रामक रोग है। बारिश और उमस भरा मौसम इस बीमारी के वायरस के पनपने के लिए अनुकूल वातावरण प्रदान करते हैं। यह इतना संक्रामक है कि संक्रमित व्यक्ति से हाथ मिलाने से भी संक्रमण के प्रसार का जोखिम होता है।
एक हालिया खबर के मुताबिक छत्तीसगढ़ में 19 हज़ार से अधिक लोग कंजंक्टिवाइटिस से संक्रमित हुए हैं। इस बीमारी के बढ़ते प्रकोप को देखते हुए छत्तीसगढ़ आई हॉस्पिटल द्वारा निर्णय लिया गया है कि मोतियाबिंद की सर्जरी के पहले मरीज़ और उनके परिजनों के आँखों की जांच की जाएगी।

कंजक्टिवाइटिस की प्रसार क्षमता को देखते हुए इसके उपचार और इससे बचाव के लिए भी हायजीन मेन्टेन करना ज़रूरी है। इस संबंध में छत्तीसगढ़ आई हॉस्पिटल के डायरेक्टर व वरिष्ठ नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ. अभिषेक मेहरा का कहना है,
“यह बीमारी संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने से तेज़ी से फैलती है। इसकी चपेट में आने से बचने के लिए संक्रमित व्यक्ति से हाथ मिलाने से बचना चाहिए। उसके द्वारा इस्तेमाल की हुआ टॉवेल या रूमाल बिल्कुल भी इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। हो सके संक्रमित व्यक्ति से निश्चित दूरी बनाकर रखना चाहिए।”
कंजंक्टिवाइटिस आमतौर पर अपने आप ठीक हो जाता है, लेकिन सावधानी न रखने या उपचार न कराने से तकलीफ़ बढ़ सकती है। इस केस में मरीज़ों को सलाह दी जाती है कि अपना नैपकिन अलग रखें या फिर टिश्यू पेपर का इस्तेमाल करें। साथ ही आँखों को तकलीफ़ से बचाने के लिए मरीज़ को काला चश्म पहनना चाहिए। इससे भी संक्रमण के प्रसार को रोकने में सहायता मिलती है। मरीज़ द्वारा उपयोग किया गया चश्मा किसी दूसरे व्यक्ति को नहीं पहनना चाहिए।
