बोन मैरो ट्रांसप्लांट से जान बचाई जा सकती है – डॉ. रवि जायसवाल

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रायपुर। छत्तीसगढ़ के एक 51 वर्षीय व्यक्ति के मायलोमा का रामकृष्ण केयर अस्पताल में ऑटोलॉगस बोन मैरो ट्रांसप्लांट डॉ. रवि जायसवाल, सलाहकार – हेमेटो – ऑन्कोलॉजी और बीएमटी द्वारा किया गया। पीडि़त व्यक्ति को जून 2021 में 2 महीने तक पीठ के निचले हिस्से में गंभीर दर्द के साथ रामकृष्ण केयर अस्पताल में भर्ती कराया गया। रक्त परीक्षण, बोन मैरो परीक्षण द्वारा उनकी जांच की गई और तब उन्हें मल्टीपल मायलोमा- स्टेज 3 से पीडि़त पाया गया। इसके बाद उसका उपचार 4 महीने के लिए इंडक्शन कीमोथेरेपी के साथ शुरू हुआ और उसके बाद मेन्टनेंस थेरेपी (मौखिक गोलियां) दी गईं। बीमारी पर नियंत्रण पाने के बाद रामकृष्ण केयर बीएमटी यूनिट में ऑटोलॉगस बोन मैरो ट्रांसप्लांट (प्रत्यारोपण) किया गया।

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रोगी को कीमोथेरेपी की उच्च खुराक दी गई, जिससे कैंसर कोशिकाएं नष्ट हो गईं और स्टेम सेल डाला गया। फिर मरीज को बोन मैरो ट्रांसप्लांट यूनिट में भर्ती कराया गया। इसमें विशेष रोगी कक्ष शामिल हैं, प्रत्येक में एक अलग एयर हैंडलिंग यूनिट, एचईपीए फिल्टर और सकारात्मक वायु दबाव है। रोगी के कक्ष में प्रवेश प्रतिबंधित रहता है। यह सुनिश्चित करना आवश्यक होता है कि रोगी की प्रतिरोधक क्षमता काफी कम होने की इस अवधि के दौरान उसे कोई संक्रमण न हो जाए। दिन में दो बार त्वचा में इंजेक्शन देकर स्टेम कोशिकाओं को बोन मैरो से परिधीय रक्त में एकत्रित किया गया। एफेरेसिस मशीन के उपयोग से परिधीय रक्त प्रवाह से स्टेम कोशिकाएं एकत्र की गईं। इस प्रक्रिया में एनेस्थीसिया या सर्जरी शामिल नहीं है। परिधीय रक्त स्टेम कोशिकाओं की पर्याप्त खुराक एकत्र की गई। इसके बाद हाई डोज कीमोथेरेपी दी गई और हेमेटोपोएटिक स्टेम कोशिकाएं रोगी को वापस स्थानांतरित कर दी गईं।

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इसके बाद मरीज की प्रोगे्रस पर बारीकी से नजर रखी गई। एक भी एंटीबायोटिक इंजेक्शन के उपयोग के बिना ट्रांसप्लांट के 12 दिनों के भीतर वह ठीक हो गया। डॉ. रवि जायसवाल का कहना है कि हमारे ट्रांसप्लांट यूनिट में वातावरण और उच्चतम संक्रमण नियंत्रण नीति है वह इसकी खूबियों के बारे में बहुत कुछ बताता है।
रामकृष्ण केयर अस्पताल के निदेशक डॉ. संदीप दवे ने रामकृष्ण केयर अस्पताल में सफल बोन मैरो ट्रांसप्लांट करने के लिए डॉक्टरों को बधाई देते हुए कहा कि हर बार जब हमारे डॉक्टर अंग प्रत्यारोपण प्रक्रिया करते हैं, तो वे मरीज को एक नया जीवन देते हैं। हमारे रोगियों को स्वस्थ जीवन जीने में मदद करने वाले सफल अंग प्रत्यारोपण उपचार से हमें बहुत गर्व है।

बोन मैरो ट्रांसप्लांट कई रक्त विकारों के लिए एक उपचार है जिसमें मायलोमा, लिम्फोमा, ल्यूकेमिया, अप्लास्टिक एनीमिया, थैलेसीमिया और सिकल सेल एनीमिया शामिल हैं। पर्याप्त सहायक देखभाल के साथ,अधिकांश रोगी प्रत्यारोपण से गुजरते हैं, जिसके परिणामस्वरूप ऐसी जीवन-घातक बीमारियों का सफलतापूर्वक इलाज हो पाया। रोगी के परिवार के सदस्यों ने डॉक्टरों, नर्सिंग स्टाफ और अस्पताल को धन्यवाद दिया,नया जीवन देने के लिए डॉ. रवि जायसवाल सहित पूरी टीम व सहयोगियों के प्रति आभार जताया।

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