साईंबाबा अस्पताल के विशेषज्ञों ने ग्लुकोमा के द्वार पर खड़े मरीज़ की आँखों को बचाया

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रायपुर। साईंबाबा अस्पताल (SBH Hospital) में एक मरीज़ की आँखों की एक जटिल समस्या का सफल उपचार किया गया, जिसकी आँखों का प्रेशर नियंत्रित ही नहीं हो रहा था। मरीज के मोतियाबिंद का सफल उपचार साईंबाबा अस्पताल (SBH Hospital) के अनुभवी डॉक्टर, डॉ. शामली कोहाड़े द्वारा किया गया। जिसके बाद आँखों की नई रौशनी पाकर वह संतुष्ट और खुश था। मगर एक दिन दुर्भाग्यवश भैंस की सींग लग जाने के कारण उसकी आँखों में प्रत्यारोपित लेंस निकल गया। मरीज़ को राहत देने के उद्देश्य से साईंबाबा अस्पताल (SBH Hospital) के सर्जन द्वारा उनकी आँखों में टांके लगाए गए। इसके बाद इस मरीज़ की आँखों प्रेशर निरंतर बढ़ने लगा, जो दवाइयों से नियंत्रित नहीं हो रहा था। ऐसे में उनकी आँखों को बचाने के लिए सर्जरी का निर्णय लिया गया। इसके लिए डॉ. शामली द्वारा एक अनोखी और आधुनिक उपचार पद्धति अहमद ग्लुकोमा वाल्व लगाकर उनकी आँखों के प्रेशर को नियंत्रित किया गया। इसमें एक प्राकृतिक युक्ति आरोपित कर आँखों का पानी बाहर निकाला जाता है और आँखों का प्रेशर जिसे आईओपी भी कहते हैं, नियंत्रित किया जाता है। आँखों के प्रेशर कम करने और मरीज़ की आँखों को बचाने के लिए इस पद्धति का उपयोग किया जाता है। साईंबाबा अस्पताल (SBH Hospital) के विशेषज्ञों के अनुभव और अथक प्रयासों से उनकी आँखों का प्रेशर न सिर्फ कम हुआ बल्कि बिना दवाइयों के भी अब नियंत्रित है। आँखों का प्रेशर बढ़ने से ग्लुकोमा का खतरा बढ़ जाता है, इसे काला मोतिया भी कहते हैं।

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साईंबाबा अस्पताल (SBH Hospital) के नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ. शामली कोहाड़े ने ग्लुकोमा के बारे में बताते हुए कहा,
“काला मोतिया आँखों का एक जटिल रोग है, समय पर इसकी जांच करके उपचार न करवाया जाए तो आँखों की रौशनी हमेशा के लिए खो सकती है। निराश करने वाला पहलू यह है कि ग्लुकोमा के कारण गई आँखों की रौशनी वापस नहीं लाई जा सकती।”

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ग्लुकोमा के संबंध में विशेषज्ञों का कहना है कि कई बार आँखों का प्रेशर दवाइयों से कम नहीं होता। ऐसे में सर्जरी ही एक विकल्प रहता है।
डॉ. कोहाड़े ने कहा, “किसी भी सर्जरी में जोखिम तो रहता ही है, लेकिन अगर मरीज़ अनुभवी हाथों में हो तो जोखिम वैसे ही कम हो जाता है। साईंबाबा अस्पताल (SBH Hospital) के नेत्र रोग विशेषज्ञों की टीम में वे डॉक्टर्स शामिल हैं जिन्होंने देश के बड़े और ख्यातिप्राप्त अस्पतालों में प्रशिक्षण लिया और अनुभव प्राप्त किया है। इसलिए मैं दृढ़ता से कह सकता हूँ कि हमारे यहाँ मरीज़ सुरक्षित हाथों में हैं।”

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