पेट्रोल एवं डीज़ल के उत्पाद शुल्क में कमी से देश में वस्तुओं की क़ीमत में 10% कमी होनी चाहिए

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कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष अमर पारवानी, चेयरमेन मगेलाल मालू, अमर गिदवानी, प्रदेश अध्यक्ष जितेन्द्र दोशी, कार्यकारी अध्यक्ष विक्रम सिंहदेव, परमानन्द जैन, वाशु माखीजा, महामंत्री सुरिन्द्रर सिंह, कार्यकारी महामंत्री भरत जैन, कोषाध्यक्ष अजय अग्रवाल एवं मीड़िया प्रभारी संजय चौंबे ने बताया कि केंद्र सरकार द्वारा पेट्रोल एवं डीज़ल के दामों में उत्पाद शुल्क को कम करने को कन्फ़ेडरेशन ऑफ़ ऑल इंडिया ट्रेडर्स ( कैट) ने लोगों के लिए महंगाई कम करने की दिशा में सरकार के द्वारा दी गई बड़ी राहत बताते हुए कहा की इस छूट से अब अकेले रोज़मर्रा की वस्तुओं की क़ीमतों में कम से कम 10% की कमी हो जबकि इसी प्रकार से अन्य वस्तुओं में लगने वाले उत्पाद शुल्क में कमी से क़ीमतों में कमी हो सकती है क्योंकि उन चीज़ों को बनाने में आवश्यक रॉ मैटीरीयल की माल ढुलाई की क़ीमत भी कम होगी जिसके कारण अन्य वस्तुओं के दामों में भी कमी आनी चाहिए । कैट ने यह भी कहा की केंद्र सरकार का अनुसरण करते हुए सभी राज्यों को वैट की दरों में भी कमी करनी चाहिए तभी जनता की महंगाई से अच्छी राहत मिल सकेगी ।

कैट के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष श्री अमर पारवानी एवं प्रदेश अध्यक्ष श्री जितेन्द्र दोशी ने केंद्र सरकार के इस कदम को प्रधानमंत्री मोदी की जनता के प्रति संवेदनशीलता बताते हुए कहा की उत्पाद शुल्क में कमी सरकार की जनता को महंगाई से राहत देने की मंशा को स्पष्ट करता है और इस दृष्टि से बड़े निर्माताओं द्वारा अपने उत्पादों के दामों को कम किया जाए, यह सुनिशचित किया जाना बेहद ज़रूरी है । अक्सर इस प्रकार की कमी का लाभ देश के लोगों को नहीं मिल पाता है ।

श्री पारवानी एवं श्री दोशी ने कहा की देश में सभी सामानों की 80 % आवाजाही सड़क परिवहन के ज़रिए होती है जिसको पेट्रोल डीज़ल ही चलाता है । उन्होंने बताया की इस कड़ी में सबसे पहले किसी भी वस्तु को बनाने के लिए रॉ मैटिरीयल की ढुलाई होती है और उसके बाद फ़ैक्टरी से उपभोक्ता तक कम से कम तीन बार सड़क परिवहन का उपयोग होता है और हर चरण में पेट्रोल डीज़ल की बड़ी खपत होती है । सरकार ने लगभग 10% पेट्रोल पर और लगभग 8% डीज़ल पर उत्पाद शुल्क में कमी की है । इस नाते से एक मोटे अनुमान के अनुसार इस कमी के फलस्वरूप सभी वस्तुओं के दामों में लगभग 10% की कमी होनी चाहिए जिसका लाभ सीधे उपभोक्ताओं को मिलना चाहिए ।

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श्री पारवानी एवं श्री दोशी ने कहा की पूर्व में ऐसा देखा गया है की जब भी कभी सरकार करों में इस प्रकार की छूट देती है तो बड़े निर्माता इस छूट का लाभ अपने पास ही रखते हैं और कभी भी अपने सामान के दामों में कमी नहीं करते जबकि ठीक इसके विपरीत जब भी कभी सरकार किसी वस्तु पर शुल्क में वृद्धि करती है तब बड़े निर्माता दाम बड़ाने में कोई देरी नहीं करते । दोनों व्यापारी नेताओं ने सरकार से आग्रह किया है लोगों को लाभ देने की सरकारी मंशा को पूरा करने के लिए बड़े निर्माताओं द्वारा अपनी वस्तुओं की क़ीमतों में कमी तुरंत की जाए, इस पर नज़र रखना ज़रूरी है । यदि ऐसा न हुआ तो लोग महंगाई में पिसते ही रहेंगे । उन्होंने सुझाव देते हुआ कहा की सरकार ख़ासकर रोज़मर्रा के सामान , खाद्य पदार्थ, तेल आदि बनाने वाले निर्माताओं को निर्देश दे की पेट्रोल डीज़ल में उत्पाद शुल्क की छूट के पूर्व और बाद की वस्तुओं की क़ीमतों का तुलनात्मक चार्ट सार्वजनिक करे जिससे यह स्पष्ट पता लगे की क़ीमतों में कमी की गई है अथवा नहीं

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