14 जनवरी से कैट देशभर में शुरू करेगा “व्यापार स्वराज्य अभियान“ रिटेल व्यापार को बचाने ठोस ई-कॉमर्स नीति की मांग

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कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष अमर पारवानी, चेयरमेन मगेलाल मालू, अमर गिदवानी, प्रदेश अध्यक्ष जितेन्द्र दोशी, कार्यकारी अध्यक्ष विक्रम सिंहदेव, परमानन्द जैन, वाशु माखीजा, महामंत्री सुरिन्द्रर सिंह, कार्यकारी महामंत्री भरत जैन, कोषाध्यक्ष अजय अग्रवाल एवं मीड़िया प्रभारी संजय चौंबे ने बताया कि उत्तर भारत के प्रमुख त्यौहार संक्रांति एवं दक्षिण भारत के प्रमुख त्यौहार पोंगल को भारत एकता दिवस के रूप में बड़े पैमाने पर मनाने के साथ देश के रिटेल व्यापार को बड़ी विदेशी ई कॉमर्स कंपनियों एवं कॉर्पोरेट घरानों के चंगुल से आजाद कराने के लिए कॉन्फ़ेडरेशन ऑफ़ आल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने आगामी 14 जनवरी, 2022 से सारे देश में एक “ व्यापार स्वराज्य अभियान “ छेड़ने की घोषणा की है। इस अभियान को 14 जनवरी को एक साथ देश के सभी राज्यों की राजधानियों से शुरू किया जाएगा। इस अभियान के जरिये देश के रिटेल व्यापार के सभी सेक्टरों के लिए केंद्र एवं राज्य सरकारों से स्पष्ट नीतियां लागू करने की मांग की जायेगी। इस बेहद महत्वाकांक्षी अभियान के जरिये देश के राजनैतिक वातावरण में व्यापारियों को एक मजबूत वोट बैंक के रूप में स्थापित करना मुख्य उद्देश्य है उसके साथ ही सभी सरकारों से रीटेल व्यापार एवं ई कामर्स पर एक स्पष्ट नीति बनाने की माँग भी की जाएगी। जिस भी राजनैतिक दल को व्यापारियों का वोट चाहिए , उन्हें व्यापारियों की न केवल तकलीफें सुननी होंगी बल्कि उनका हल भी निकालना होगा। इस अभियान के तहत 14 जनवरी से सभी राज्यों में “ व्यापार स्वराज्य रथ यात्रा “ भी निकाली जाएंगी।

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कैट के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष श्री अमर पारवानी एवं प्रदेश अध्यक्ष श्री जितेन्द्र दोशी ने बताया की इस अभियान के जरिये देश भर में व्यापारी अपनी शक्ति का प्रदर्शन कर सभी सरकारों और राजनैतिक दलों को सीधा सन्देश देंगे की यदि अब भी देश के व्यापारियों को नजर अंदाज किया गया तो आगामी चुनावों में व्यापारी भी राजनैतिक नुकसान या लाभ देने में कोई कोताही नहीं बरतेंगे। फैसला सरकारों और राजनैतिक दलों को करना है। उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा की किसी भी दल या सरकार को यह ग़लतफ़हमी नहीं होनी चाहिए की व्यापारी उनके बंधुआ मजदूर हैं। उन्होंने यह भी कहा की हर व्यापारी की अपनी राजनैतिक विचारधारा हो सकती है किन्तु व्यापारी के सवाल पर सभी व्यापारी अपने राजनैतिक विचार को छोड़कर विशुद्ध रूप से व्यापारी हितों के लिए किसी भी संघर्ष को तैयार हैं।
देश में लगभग 8 करोड़ से ज्यादा व्यापारी हैं जिनके परिवार में यदि औसतन 3 परिवार के लोग जोड़े जाएँ तो 24 करोड़ होते हैं और यदि प्रत्येक व्यापारी औसतन 2 लोगों को भी अपने यहाँ रोजगार देता है तो 16 करोड़ की यह एक अतिरिक्त संख्यां होती है। 40 करोड़ का यह वोट बैंक अब अपने सम्मान और स्वाभिमान के लिए उठ खड़ा हुआ है। इसके अलावा ट्रांसपोर्ट, कूरियर सहित अन्य अनेक लोगों को भी व्यापारियों के द्वारा रोजगार दिया जाता है और देश में वोट बैंक की राजनीति हावी होने के कारण, देश भर के व्यापारियों ने कैट के बैनर तले अपने आपको भी एक मजबूत वोट बैंक के रूप में तब्दील करने का निर्णय लिया है । श्री पारवानी एवं श्री दोशी ने बताया की देश भर के 40 हजार से ज्यादा व्यापारी संगठन “व्यापार स्वराज्य अभियान“ में शामिल होंगे।
श्री पारवानी एवं श्री दोशी ने कहा की कैट ने देश के सभी राज्यों के 150 से अधिक प्रमुख व्यापारी नेताओं को विभिन्न राज्यों “ व्यापार स्वराज्य अभियान “ की अगुवाई करने के लिए विशेष रूप से प्रशिक्षित किया है जो इस अभियान को प्रत्येक राज्य के कोने कोने में लेकर जाएंगे और इस अभियान के जरिये व्यापारियों को लामबंद करेंगे। बड़े पैमाने पर देश भर में व्यापार स्वराज्य अभियान कॉन्फ्रेंस आयोजित की जाएँगी वहीं देश भर के व्यापारिक बाज़ारों में स्वराज्य रैलियां भी निकलेंगी। वर्तमान में लोकसभा एवं राज्यसभा के सांसदों, विधानसभाओं के सदस्य, केन्द्रियों मंत्रियों, राज्य सरकारों के मुख्यमंत्री एवं अन्य मंत्रियों को ज्ञापन भी दिए जाएंगे।
श्री पारवानी एवं श्री दोशी ने कहा की बेहद अफ़सोस की बात है की देश के ई कॉमर्स व्यापार में बड़ी विदेशी कंपनियां 2016 से अपनी मनमानी कर रही हैं, खुले आम प्रतिबंधित सामान बेच रही हैं और अनेक शिकायतें देने के बाद भी उन पर अभी तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई, देश के रिटेल व्यापार को बड़ी कॉर्पोरेट कंपनियों द्वारा तोडा मरोड़ा जा रहा है और सभी मूक दर्शक बने बैठे हैं। दूसरी ओर अन्य अनेक कारणों से छोटे व्यापारियों का व्यापार सिमटता जा रहा है, प्रतिदिन व्यापारियों को अनेक प्रकार की परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। जीएसटी को सरकार की आसान कानून बनाने के जगह सभी राज्य सरकारों ने मिलकर सबसे जटिल क़ानून बना दिया गया है। अनेक प्रकार के अन्य निरर्थक क़ानून और नियम का व्यापारियों द्वारा पालना करने के लिए ताकत का इस्तेमाल किया जाता है जबकि बड़ी विदेशी कंपनियां और कॉर्पोरेट घराने क़ानून एवं नियमों को ताक पर रख कर बैठे हैं लेकिन उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं होती है। इन सब कारणों से देश भर के व्यापारी बेहद नाराज़ और आक्रोश में हैं और इसीलिए व्यापार स्वराज्य अभियान के जरिये वो देश भर में अपनी आवाज़ बुलंद करेंगे और रिटेल व्यापार तथा ई कॉमर्स व्यापार के लिए तुरंत एक स्पष्ट नीति लागू करने तथा जीएसटी के सरलीकरण करने की मांग करें

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