हाउसिंग बोर्ड शंकर नगर जोन में दो करोड़ रुपये का रसीद घोटाला

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रायपुर- छत्तीसगढ़ गृह निर्माण मंडल (हाउसिंग बोर्ड) शंकर डिवीजन-दो में दो करोड़ रुपये का रसीद घोटाला सामने आया है। यहां कार्यरत संपदा अधिकारी एके बनर्जी टैक्स की रकम की खोजबीन शुरू होने पर फरार हो गया था। वह दो दिन तक लापता रहा। मगर, उसके साथियों ने ही ढूंढ़ निकाला। इसके बाद उसने स्वैच्छिक सेवानिवृति (वीआरएस) के लिए आवेदन कर दिया और मामले को दबाने केलिए गुपचुप तरीके से 56 लाख रुपये जमा करा दिए गए।

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अनुमान है कि इस मामले की पूरी जांच की जाए तो अकेले इसी जोन में करीब 15 करोड़ रुपये से अधिक का घोटाला सामने आ सकता है। छत्तीसगढ़ में ऐसे 22 डिवीजन हैं और घोटाले की राशि हर जगह जांच की जरूरत बता रही है। शंकर नगर हाउसिंग बोर्ड कार्यालय के सब-डिवीजन दो के अंर्तगत कचना, शंकर नगर, खम्हारडीह, सरहद, बोरियाखुर्द, डूमरतराई और धरमपुरा आदि हाउसिंग बोर्ड सोसायटी आते हैं।

यहां मकान पर अधिपत्य लेने के बाद मेंटेनेंस, जल कर और अन्य मदों में हितग्राहियों से नकद राशि ली जाती है। इस मद में एक साल में करीब दो करोड़ 20 लाख रुपये टैक्स के रूप में वसूल किए जाते हैं। मगर यहां तैनात मुख्य संपदा प्रबंधक और उसके अधिकारियों ने इस रकम को पचा लिया। साल 2016-17 से 2019-20 तक करीब दो करोड़ रुपये का घोटाला किया गया है।

हद तो तब हो गई जब हाउसिंग बोर्ड के अधिकारियों ने संपदा अधिकारी के ऊपर कार्रवाई करने के बजाय जांच का हवाला देकर उसे दोबारा ड्यूटी पर रख लिया। अधिकारी का कहना है कि मामले में अभी जांच चल रही है। जांच पूरी होने के बाद स्पष्ट होगा कि कितने रुपये का गबन किया है।

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जमा कराए 56 लाख रुपये

शंकर नगर में पदस्थ संपदा अधिकारी एके बनर्जी हितग्राहियों को टैक्स की रसीद तो देता था लेकिन उनसे वसूली गई रकम सरकारी खजाने में जमा नहीं करता था।हाउसिंग बोर्ड के सूत्रों की माने तो संपदा अधिकारी एके बनर्जी ने दो करोड़ रुपये की रसीद बुक जला दी या फिर गायब कर दी है। मामले का पर्दाफाश होने पर उसने जुलाई 2020 में हाउसिंग बोर्ड के खाते में चुपचाप 25 लाख जमा कराए उसके बाद दूसरी किस्त में करीब 31 लाख रुपये जमा करवाए।

इस तरह कुल 56 लाख रुपये जमा किया। आकलन है कि मामले की पूरी जांच की जाए तो 15 करोड़ रुपये से अधिक की गड़बड़ी सामने आएगी। बनर्जी ने अभी बाकी राशि नहीं जमा की है तथा विभाग की तरफ से उसपर केस भी दर्ज नहीं हुआ है। अफसरों ने अभी तक इस मामले को दबा रखा है।

स्वैच्छिक सेवा निवृत्ति का आवेदन

पोल खुलने के बाद संपदा अधिकारी एके बनर्जी ने स्वैच्छिक सेवा निवृत्ति का आवेदन लगा दिया है। आवेदन में लिखा है कि वह पिछले 10 से 12 सालों से बीपी और शुगर से पीड़ित है। इसके लिए उसको इंसुलिन भी लेना पड़ता है। साथ ही कोरोना के चलते वह शारीरिक और मानसिक रूप से अस्वस्थ है। वर्तमान में उसका उपचार चल रहा है इसलिए उसे स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति स्कीम के तहत सेवानिवृत्ति दे दी जाए।

नियमित कर्मचारी हैं। दो-तीन दिन के लिए कहीं चला गया था। वापस आने के बाद बीआरएस के लिए अप्लाई किया है। आवेदन के बाद आगे की प्रक्रिया चल रही है। कितने की रकम का घोटाला किया है, हमें इसकी जानकारी नहीं है उसकी जांच चल रही है और जांच के बाद ही कुछ कह पाएंगे।