कैट छत्तीसगढ़ ने आगामी जीएसटी काउंसिल बैठक हेतु वित्त मंत्री को भेजे महत्वपूर्ण सुझाव


रायपुर। देश के सबसे बड़े व्यापारिक संगठन कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) के राष्ट्रीय वाइस चेयरमेन एवं राष्ट्रीय व्यापारी कल्याण बोर्ड (भारत सरकार) के सदस्य श्री अमर पारवानी, प्रदेश चेयरमेन श्री मगेलाल मालू, प्रदेश चेयरमेन श्री विक्रम सिंहदेव, प्रदेश एक्जीक्यूटिव चेयरमेन श्री जितेन्द्र दोशी, प्रदेश अध्यक्ष श्री परमानंद जैन, प्रदेश महामंत्री श्री सुरेन्द्र सिंह एवं प्रदेश कोषाध्यक्ष श्री अजय अग्रवाल ने बताया कि संयुक्त रूप से बताया कि कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) छत्तीसगढ़ ने आगामी 3 एवं 4 सितम्बर को आयोजित होने वाली जीएसटी काउंसिल की बैठक के लिए राज्यभर के विभिन्न व्यापारिक संगठनों से प्राप्त सुझावों को संकलित कर वित्त मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण को भेजा है।
कैट के राष्ट्रीय वाइस चेयरमेन एवं राष्ट्रीय व्यापारी कल्याण बोर्ड (भारत सरकार) के सदस्य श्री अमर पारवानी ने अपने प्रतिनिधित्व में कहा है कि प्रदेश के व्यापार जगत ने व्यापक चर्चा एवं विचार-विमर्श के बाद जिन बिंदुओं को चिन्हित किया है, वे न केवल व्यापारियों और उद्योग जगत बल्कि किसानों, छात्रों एवं आम उपभोक्ताओं के हित से भी जुड़े हुए हैं।

मुख्य सुझाव निम्नानुसार हैं :
1. स्टेशनरी उत्पादों पर जीएसटी 5 प्रतिशत किया जाए। ताकि शिक्षा की लागत घटे और छात्रों एवं संस्थानों को राहत मिले।
2. स्कूल बसों पर जीएसटी 28 प्रतिशत से घटाकर 5 प्रतिशत किया जाए। जिससे शिक्षा क्षेत्र पर बोझ कम हो और बच्चों की सुरक्षित बसों की उपलब्धता सुनिश्चित हो।
3. वस्त्र एवं फुटवियर वस्त्र एवं फुटवियर के उत्पादों पर 5 प्रतिशत लगाया जाए।
4. पोहा एवं मुरमुरा को करमुक्त (छप्स्) श्रेणी में रखा जाए ये आम जनता का दैनिक आहार है एवं ग्रामीण उद्योगों से जुड़ा है।
5. साइकिल, रिक्शा एवं पुर्जों पर एक समान जीएसटी दर – ताकि अनुपालन सरल हो और विवाद खत्म हों।
6. कृषि उपकरणों पर जीएसटी 5 प्रतिशत किया जाए। जिससे किसानों की लागत घटे और कृषि क्षेत्र को बढ़ावा मिले।
7. लघु व्यापारियों एवं एमएसएमई के लिए और सर्विस उधोगों की पंजीकरण सीमा और कम्पोजिशन स्कीम की सीमा बढ़ाई जाए।
8. 180 दिन में आईटीसी रिवर्सल की शर्त में राहत दी जाए।
9. ओटीएस 2.0 / अमनेस्टी योजना लागू हो । जिससे छोटे व्यापारी ब्याज और दंड से राहत पाकर मूल कर का भुगतान कर सकें।
10. लंबित अपीलों एवं रिटर्न्स हेतु विशेष सुविधा और दंड माफी।
11. सेवाओं पर अग्रिम भुगतान पर जीएसटी समाप्त किया जाए।
12.GSTR-9 एवं 9C में संशोधन की सुविधा उपलब्ध कराई जाए।
श्री अमर पारवानी ने कहा कि देशभर में जीएसटी सुधार की दिशा में यह समय निर्णायक है। दो-दर जीएसटी प्रणाली से कर ढाँचा अधिक पारदर्शी, सरल और स्थिर बनेगा। इससे न केवल व्यापारियों का अनुपालन बोझ कम होगा बल्कि उपभोक्ताओं को भी सीधी राहत मिलेगी।
उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि वित्त मंत्री जीएसटी काउंसिल में इन विषयों पर गंभीरता से विचार कर व्यापार, उद्योग, किसान और उपभोक्ता हित में निर्णय लेंगी।

