बसंत अग्रवाल को मिली “धर्म वीर” की उपाधि, महंत राजीव दास लोचन ने की घोषणा, मुख्यमंत्री ने की सराहना


रायपुर। छत्तीसगढ़ की संस्कारधानी रायपुर में कृष्ण जन्माष्टमी का पर्व इस वर्ष एक ऐतिहासिक सम्मान का साक्षी बना। गुढ़ियारी के अवधपुरी मैदान में आयोजित विशाल दही हांडी उत्सव के भव्य मंच पर, दक्षिण कौशल पीठाधीश्वर महंत राजीव दास लोचन ने आयोजन के संयोजक श्री बसंत अग्रवाल को सनातन धर्म और संस्कृति के प्रति उनकी निस्वार्थ एवं अनवरत सेवा के लिए ‘धर्म वीर’ की गौरवमयी उपाधि से विभूषित किया। इस अविस्मरणीय क्षण में प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय ने श्री अग्रवाल को शॉल ओढ़ाकर और बधाई देकर उनके कार्यों की प्रशंसा की।
रविवार को आयोजित यह दही हांडी उत्सव, जो बसंत अग्रवाल पिछले 16 वर्षों से सफलतापूर्वक कराते आ रहे हैं, इस बार उनके सम्मान समारोह का साक्षी बना। उत्सव का माहौल पहले से ही कृष्ण भक्ति और उल्लास से सराबोर था, लेकिन जैसे ही महंत राजीव दास लोचन ने श्री अग्रवाल को ‘धर्म वीर’ की उपाधि प्रदान की, पूरा मैदान ‘जय श्री कृष्ण’ और ‘धर्म वीर बसंत अग्रवाल’ के नारों से गूंज उठा। यह सम्मान केवल एक आयोजन का परिणाम नहीं, बल्कि वर्षों से सनातन धर्म की सेवा का प्रतीक हैं


बसंत अग्रवाल ने रायपुर और पूरे छत्तीसगढ़ में धार्मिक चेतना जगाने का एक बीड़ा उठाया है। उनकी यह यात्रा प्रदेशवासियों के मन में आज भी जीवंत है जब उन्होंने 2022 में प्रसिद्ध कथा वाचक पंडित प्रदीप मिश्रा को शिवमहापुराण कथा के लिए आमंत्रित किया था, जिससे पूरी राजधानी शिवमय हो गई थी। इस सिलसिले को आगे बढ़ाते हुए उन्होंने 2023 में श्रीगोवर्धनमठ पुरीपीठाधीश्वर श्रीमज्जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी श्रीनिश्चलानंद सरस्वती महाराज के 81वें प्राकट्य-महोत्सव को राष्ट्रोत्कर्ष दिवस के रूप में भव्यता प्रदान की। वर्ष 2024 में उन्होंने बागेश्वर धाम सरकार, पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री की कथा का आयोजन कर न केवल लाखों लोगों को जोड़ा, बल्कि उनके नेतृत्व में धर्मांतरण कर चुके कई लोगों की हिंदू धर्म में ससम्मान वापसी भी कराई। उनकी धर्म सेवा केवल बड़े कथा आयोजनों तक सीमित नहीं रही, उन्होंने इसी साल हनुमान जयंती पर प्रख्यात भजन गायक राजेश मिश्रा की भजन संध्या का आयोजन कर भक्ति संगीत की धारा भी बहाई।
उनके इन्हीं कार्यों ने उन्हें एक ऐसे ‘धर्म वीर’ के रूप में स्थापित किया है जो सिर्फ आयोजक नहीं, बल्कि सनातन संस्कृति के सच्चे प्रहरी के रूप में कार्य कर रहे हैं। उनके प्रयास प्रदेश के युवाओं के लिए प्रेरणा बन रहे हैं, जो अपनी जड़ों और संस्कृति से जुड़कर गर्व महसूस कर रहे हैं।
इस अभूतपूर्व सम्मान पर भावविभोर होकर श्री बसंत अग्रवाल ने कहा, यह उपाधि मेरी नहीं, बल्कि यह पूज्य संतों का आशीर्वाद, भगवान श्री कृष्ण की कृपा और प्रदेश की धर्मप्रेमी जनता का प्रेम है। मैं तो केवल एक निमित्त मात्र हूँ। मेरा जीवन सनातन संस्कृति और हिंदू धर्म की सेवा के लिए समर्पित है और मैं अपनी अंतिम सांस तक इस पथ पर चलता रहूंगा। प्रदेश के युवाओं को अपनी संस्कृति से जोड़ना ही मेरा परम लक्ष्य है।