CG – कांग्रेस ने बदला प्रदेश प्रभारी, क्या नया प्रभारी छत्तीसगढ़ में कांग्रेस का लगाएगा बेड़ा पार ?

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कांग्रेस ने बदला प्रदेश प्रभारी, क्या नया प्रभारी छत्तीसगढ़ में कांग्रेस का लगाएगा बेड़ा पार ?
कांग्रेस ने बदला प्रदेश प्रभारी, क्या नया प्रभारी छत्तीसगढ़ में कांग्रेस का लगाएगा बेड़ा पार ?

रायपुर |  विधानसभा चुनाव 2023 में करारी हार के महज 20 दिन बाद कांग्रेस संगठन में बड़ी उलटफेर हो गया. पार्टी आलाकमान ने पिछले साल छत्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस की प्रभारी बनाई गई महिला नेत्री कुमारी शैलजा की छत्तीसगढ़ से छुट्टी कर दी है. उन्हें फिलहाल उत्तराखंड की कमान सौंपी गई है. वहीं अब छत्तीसगढ़ की कमान राजस्थान के पूर्व उप मुख्यमंत्री और युवा नेता सचिन पायलट को सौंपी गई है. हालाँकि उनकी विदाई भी विवादों में रही. उनपर राज्य में बड़े नेताओं के बीच गुटबाजी को हवा देने, टिकट के नाम पर पैसों की लेनदेन और सरकार व संगठन के बीच तालमेल नहीं बिठाने जैसे आरोपों के साथ कुमारी शैलजा को भी प्रदेश से रवाना होना पड़ा .अब सवाल उठता है कि सचिन पायलट क्या कमाल कर पाएंगे.

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गौरतलब है कि चुनाव में करारी हार के बाद कांग्रेस के पूर्व विधायकों ने कुमारी सैलजा के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था. उन पर पैसों की लेन-देन समेत ऑडियो-वीडियो वायरल होने जैसे गंभीर आरोप भी लगे. टिकट कटने वाले विधायकों ने दिल्ली में कई नेताओं से सैलजा की शिकायत की. बता दें कि कुमारी शैलजा से पहले पीसीसी के प्रभारी रहे पीएल पुनिया ने कांग्रेस का राज्य से सत्ता का वनवास ख़त्म कराया था. और सरकार में 15 सालों बाद वापसी कराई थी. अब कांग्रेस आलाकमान ने सचिन पायलट को छत्तीसगढ़ कांग्रेस का प्रभारी बनाया है. इसे पहले अटकलें थी पार्टी विधानसभा चुनाव के बाद पायलट को राजस्‍थान का प्रदेश अध्‍यक्ष बना सकती है. लेकिन अब इन अटकलों पर विराम लग गया है. इस लिए पायलट को अब छत्तीसगढ़ भेजा गया है.

सचिन पायलट के सामने सबसे बड़ी चुनौती नाराज नेताओं को मनाने की होगी. दरअसल पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने अपने 22 विधायकों की टिकट काट दी थी. कांग्रेस इस फैसले के साथ डैमेज कंट्रोल की दलील देती रही. लेकिन नतीजा इसके उलट रहा और इन 22 में से कांग्रेस महज 14 जगहों पर ही वापसी कर पाने में कामयाब रही. वहीं नतीजों के बाद जिन विधायकों के टिकट काटे गए थे उनका गुस्सा फूट पड़ा है. ऐसे में अब पायलट के सामने नाराज नेताओं को मना पाने की बड़ी चुनौती होगी ताकि लोकसभा चुनाव में संभावित नुकसान को कम से कम किया जा सके. वहीं गुटबाजी को कम करना भी उनकी बड़ी चुनौती होगी. दरअसल कई मौकों पर देखा गया था कि पूर्व सीएम और पूर्व उपमुख्यमंत्री के बीच तालमेल की बड़ी कमी थी.

भले ही भूपेश बघेल ,टीएस सिंहदेव के खिलाफ सार्वजानिक तौर पर बयानबाजी नहीं की थी लेकिन टीएस सिंहदेव ने अपने कई फैसलों से जता दिया था कि वह सरकार से खुश नहीं है. यहाँ तक कि सिंहदेव ने नाराजगी में पंचायत विभाग भी छोड़ दिया था. इसके साथ ही ढाई-ढाई साल सीएम के फार्मूले को लेकर भी खींचतान देखी गई थी. आखिरी साल में डिप्टी सीएम का पद देकर सिंहदेव को संतुष्ट करने की भी कोशिश हुई बावजूद छोटे कार्यकर्ता भी दो गुटों में साफतौर पर बंटे नजर आएं. इस तरह पायलट के सामने प्रदेश नेतृत्व के बीच तालमेल बिठाने की भी बड़ी चुनौती होगी.

नए प्रभारी के सामने लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के खोये जनाधार को हासिल करने की चुनौती होगी , इसके लिए सबसे जरूरी उम्मीदवारों का चयन होगा. चुनाव में चार मंत्रियों को छोड़ सभी नौ मंत्री अपनी सीट नहीं बचा पाए थे। पिछला चुनाव हारने के पीछे प्रत्याशियों के चयन को भी माना जा रहा है. कांग्रेस पर आरोप लगे है कि जिनके टिकट काटे जाने चाहिए थे उलटे उन्हें ही मौका दिया गया.

इस तरह निर्वाचन क्षेत्रों में उम्मीदवार को लेकर भी मतदाता प्रभावित हुए . ऐसे में पीसीसी इंचार्ज सचिन पायलट के सामने लोकसभा चुनाव के लिए साफ और बेदाग़ छवि के नेताओ को उम्मीदवार बनाने की बड़ी चुनौती होगी. सचिन पायलट को छत्तीसगढ़ का प्रभार मिलने पर दीपक बैज ने कहा, पूर्व प्रभारी कुमारी सैलजा ने भी अच्छा काम किया. नए प्रभारी राजस्थान के युवा हैं, वे अनुभवी हैं. इससे छत्तीसगढ़ को फायदा होगा.

इधर भाजपा कांग्रेस से सवाल किया है  कि क्या कांग्रेस भ्रष्टाचार की पनाहगाह हो चली है जो एक जगह बेनकाब होने के बाद भ्रष्टाचार के लिए राज्यों को बतौर प्रयोगशाला इस्तेमाल कर रही है ? छत्तीसगढ़ की कांग्रेस प्रभारी शैलजा को प्रदेश प्रभारी से हटाकर उत्तराखंड का प्रभार सौंपने के ताजे फरमान के मद्देनज़र ,क्या कांग्रेस पार्टी में भ्रष्टाचार की यही सजा है ? छत्तीसगढ़ में संगठन के कार्यकर्ताओं ने आरोप लगाया था कि शैलजा ने कांग्रेस की चुनाव टिकटों की ख़रीदी-बिक्री की है और किसी एक नेता को तव्वजो देते हुए बाक़ी संगठन को दरकिनार कर दिया था.

आज कांग्रेस पार्टी ने शैलजा का प्रभार बदलकर उत्तराखंड कर दिया है तो सवाल उठ रहा है कि क्या अब उत्तराखंड के कार्यकर्ता शैलजा के इस हुनर का लाभ लेंगे ? वहीं उपमुख्यमंत्री अरुण साव ने सचिन पायलट को प्रदेश प्रभारी बनाए जाने को लेकर कहा कि  कांग्रेस का अंदरूनी मामला है इसमें टिप्पणी करना उचित नही है ,किन कांग्रेस मेंआज भगदड़ की स्थिति है  ,प्रभारी बदलने से उन्हें कोई लाभ नही होगा | 11 की 11 लोकसभा सीट bjp जीतेगी , मोदी विरोध में कांग्रेस देश के विरोध करने में नही चूक रहे कांग्रेस. आने वाले चुनाव में एक बार फिर से कांग्रेस को सबक सिखाएंगे और मोदी सरकार बनेगी .

बहरहाल प्रदेश में बड़ी चुनौती कांग्रेस के लिए संसाधन जुटाने की होगी. पार्टी के पास इसके लिए सिर्फ छह महीने से भी कम वक़्त शेष है. ऐसे में उन्हें लोकसभा चुनाव की तैयारियों के लिए संसाधन की जरूरत होगी. पांच साल सरकार में रही कांग्रेस ने अपने संगठन को जरूर मजबूत किया है. ऐसे में देखना दिलचस्प होगा की पार्टी कितनी तैयारी के साथ भाजपा का मुकाबला कर पाती है.

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