पार्टनरशिप फर्मों के लिए नया निर्देश – पार्टनर्स को भुगतान पर काटना होगा 10% TDS – सीए चेतन तारवानी


इनकम टैक्स विभाग ने स्पष्ट किया है कि अब कोई भी पार्टनरशिप फर्म यदि अपने पार्टनर्स को सैलरी, बोनस, कमीशन, ब्याज या किसी भी प्रकार का भुगतान करती है, जो उनकी आय के रूप में गिना जाता है, तो उस पर 10 प्रतिशत TDS (Tax Deducted at Source) काटना अनिवार्य होगा। यदि किसी पार्टनर को ₹20,000 से अधिक का भुगतान किया जाता है, तो उस पर 10% की दर से TDS काटना होगा। यह कटौती उस समय करनी होगी जब फर्म वास्तविक भुगतान करे या जब अकाउंटिंग में जनरल एंट्री पास करे — दोनों में से जो पहले हो।

कई करदाताओं द्वारा यह सवाल पूछा जा रहा था कि क्या ब्याज के भुगतान पर भी TDS लागू होगा? टैक्स एक्सपर्ट सीए चेतन तरवानी जी ने स्पष्ट किया है कि हाँ, ब्याज भुगतान पर भी TDS लागू होगा, क्योंकि वह भी पार्टनर की आय मानी जाती है। यानी फर्म द्वारा पार्टनर को दी जाने वाली कोई भी राशि — चाहे वह सैलरी, बोनस, कमीशन या ब्याज हो — सभी पर TDS काटना आवश्यक है।

साथ ही, इनकम टैक्स नियमों में हाल ही में एक और महत्वपूर्ण बदलाव किया गया है। पहले जहाँ पार्टनर को प्रथम तीन लाख रुपये तक 90% रेम्यूनरेशन भुगतान की अनुमति थी, अब यह सीमा बढ़ाकर छह लाख रुपये कर दी गई है। इस बदलाव के कारण फर्मों को अपनी पार्टनरशिप डीड की जांच करनी चाहिए। यदि डीड में किसी निश्चित राशि (जैसे ₹3 लाख ) का उल्लेख किया गया है, तो डीड में संशोधन आवश्यक होगा। लेकिन यदि डीड में यह लिखा है कि भुगतान या गणना “As per Income Tax Act” के अनुसार होगी, तो डीड को संशोधित करने की आवश्यकता नहीं है। इनकम टैक्स एक्ट समय-समय पर बदलता रहता है, इसलिए “As per Income Tax Act” वाला प्रावधान स्वचालित रूप से नियमों के अनुरूप रहेगा।
सीए चेतन तरवानी का कहना है कि फर्मों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि किसी भी प्रकार के भुगतान पर TDS का पालन (Compliance) समय पर हो, ताकि भविष्य में कर विवाद या पेनल्टी की स्थिति से बचा जा सके।
