कैट ने ई-कॉमर्स पर संसदीय स्थायी समिति की सिफारिशों को लागू करने का आग्रह किया

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कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष अमर पारवानी, चेयरमेन मगेलाल मालू, अमर गिदवानी, प्रदेश अध्यक्ष जितेन्द्र दोशी, कार्यकारी अध्यक्ष विक्रम सिंहदेव, परमानन्द जैन, वाशु माखीजा, महामंत्री सुरिन्द्रर सिंह, कार्यकारी महामंत्री भरत जैन, कोषाध्यक्ष अजय अग्रवाल एवं मीड़िया प्रभारी संजय चौंबे ने बताया कि कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने ई-कॉमर्स पर 15 जून को राज्यसभा को प्रस्तुत वाणिज्य मंत्रालय की संसदीय स्थायी समिति की रिपोर्ट का स्वागत किया है। कैट ने केंद्रीय वाणिज्य मंत्री श्री पीयूष गोयल से देश के छोटे व्यवसायों की रक्षा के लिए समिति की सिफारिशों के मद्देनज़र तत्काल प्रभावी कदम उठाने का आग्रह किया है, जो वैश्विक ई- कॉमर्स कंपनियों की गलत एवं गैर कानूनी नीतियों के कारण से बड़ा नुकसान उठा रहे हैं चूंकि इन कंपनियों ने देश के ई-कॉमर्स व्यापार में पूर्ण रूप से असमान प्रतिस्पर्धा का वातावरण बना दिया है। कैट ने इस मुद्दे पर चर्चा करने के लिए श्री गोयल के साथ एक मीटिंग करने का आग्रह किया है।

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कैट के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष श्री अमर पारवानी एवं प्रदेश अध्यक्ष श्री जितेन्द्र दोशी ने कहा की संसदीय स्थायी समिति की रिपोर्ट व्यापक है जिसने भारत में ई-कॉमर्स के वर्तमान परिदृश्य पर पूरे तौर से विचार किया है और इसकी सिफारिशों को लागू करने पर ई-कॉमर्स व्यापार में व्याप्त दुष्चक्र को निश्चित रूप से समाप्त किया जा सकता है। पिछले दो वर्षों में कैट द्वारा ई-कॉमर्स की बड़ी कंपनियों के खिलाफ लगाए गए विभिन्न आरोपों को समिति की रिपोर्ट पुष्टि करती है। ये कंपनियां देश के ई-कॉमर्स ही नहीं बल्कि खुदरा व्यापार को अपने कब्जे में लेने की पूरी कोशिश में जुटी हैं।

श्री पारवानी और श्री दोशी ने समिति के काम की सराहना की जिसने न केवल स्टेकहोल्डर्स को अपनी बात कहने का मौका दिया बल्कि कुछ शहरों का दौरा भी किया और खुद से ई-कॉमर्स व्यापार की जमीनी हकीकत को भी देखा है । दोनों व्यापारी नेताओं ने रिपोर्ट के परिचय में समिति की उस टिप्पणी को जिसमें कहा गया है कि “भारत में ई-कॉमर्स बाजार एकाग्रता का एक स्पष्ट पैटर्न प्रदर्शित करता है, जहां कुछ ई-मार्केटप्लेस दिग्गज बाजार के एक बड़े हिस्से पर नियंत्रण रखते हैं, जिससे उन्हें अपरिहार्य बना दिया जाता है“। ऐसे ई-मार्केटप्लेस देश के बड़े उपभोक्ता आधार तक पहुंच चाहने वाले विक्रेताओं/व्यावसायिक उपयोगकर्ता के लिए खतरनाक है“ कैट ने कहा की रिपोर्ट का यह विवेचन भारत के लोकतांत्रिक सिद्धांतों और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के डिजिटल इंडिया विजन के विपरीत है।

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श्री पारवानी और श्री दोशी ने कहा कि समिति की रिपोर्ट ने ई-कॉमर्स व्यापार के हर पहलू को एक अत्यंत परिश्रमी तरीके से समझा है जिसमें समिति की विभिन्न टिप्पणियों ने ई-कॉमर्स के वर्तमान पारिस्थितिकी तंत्र पर एक प्रश्न चिह्न लगाया है। समिति की सिफारिशें ई-कॉमर्स व्यवसाय की वास्तविक जड़ के बारे में बोलती हैं और इसलिए भारत में ई-कॉमर्स व्यापार को शुद्ध करने के लिए गंभीरता से और तत्काल कदम उठाने की आवश्यकता है।

 

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