सरकार ऑनलाइन फ़ार्मेसी व्यापार को सरल बनाएगी -मंडाविया ने कैट से कहा

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कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष अमर पारवानी, चेयरमेन मगेलाल मालू, अमर गिदवानी, प्रदेश अध्यक्ष जितेन्द्र दोशी, कार्यकारी अध्यक्ष विक्रम सिंहदेव, परमानन्द जैन, वाशु माखीजा, महामंत्री सुरिन्द्रर सिंह, कार्यकारी महामंत्री भरत जैन, कोषाध्यक्ष अजय अग्रवाल एवं मीड़िया प्रभारी संजय चौंबे ने बताया कि केंद्र सरकार ऑनलाइन पोर्टलों के माध्यम से दवाओं के वितरण और बिक्री में ऑनलाइन फार्मेसियों द्वारा की गई विकृतियों और घोर गड़बड़ी से पूरी तरह से अवगत है और यह मामला सरकार के समक्ष सक्रिय रूप से विचाराधीन तथा ऑनलाइन फ़ार्मेसी के व्यापार को सुव्यवस्थित करने के लिए सरकार जल्द ही आवश्यक कदम उठाएगी और किसी को भी क़ानून एवं नियमों से खेलने की अनुमति नहीं दी जाएगी। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री श्री मनसुख मंडाविया ने यह बात आज कन्फ़ेडरेशन ऑफ़ ऑल इंडिया ट्रेडस़र् (कैट) के एक प्रतिनिधिमंडल से बातचीत करते हुए अपने नई दिल्ली स्थित कार्यालय में एक मुलाक़ात के दौरान कही ।

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कैट के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष श्री अमर पारवानी एवं प्रदेश अध्यक्ष श्री जितेन्द्र दोशी ने बताया कि कैट ने कहा कि श्री मंडाविया ने प्रतिनिधिमंडल को धैर्यपूर्वक सुना और ऑनलाइन फार्मेसी कंपनियों के व्यावसायिक तौर-तरीकों पर चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि देश भर के छोटे केमिस्टों के वर्तमान तंत्र जो कि देश भर में अतुलनीय सेवाएं प्रदान कर रहे हैं, को बाधित नहीं होने दिया जाएगा।

इससे पहले कैट ने श्री मंडाविया को एक ज्ञापन सौंपते हुए कहा कि भारत में ऑनलाइन फ़ार्मेसी ड्रग एंड कॉस्मेटिक्स अधिनियम, 1940 और इससे जुड़े नियमों के अंतर्गत काम करती है, जिसका घोर उल्लंघन ऑनलाइन फ़ार्मेसी कम्पनियाँ कर रही हैं, जिससे कारण से देश में एक करोड़ से अधिक छोटी केमिस्ट दुकानों के व्यवसाय को काफी नुकसान हुआ है।

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श्री पारवानी एवं दोशी ने आगे कहा कि ऑनलाइन फ़ार्मेसियों उनके द्वारा बेची जाने वाली दवाओं की कोई ज़िम्मेदारी नहीं लेती है और नकली दवाओं के मामले में, वे गलत तरीके से सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की धारा 79 का आश्रय लेते हैं, जो बाज़ार को “मध्यस्थ” के रूप में वर्गीकृत करके किसी भी कारवाई से सुरक्षा प्रदान करता है जबकि यह नियम क़ायदे से ऑनलाइन फ़ार्मेसीज़ पर लागू नहीं होता है। कैट ने श्री मंडाविया से उनके मंत्रालय की अधिसूचना जी.एस.आर. 817 (ई) दिनांक 28 अगस्त, 2018 को ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक्स रूल्स, 1945 की ओर किया जिसके ज़रिए उक्त क़ानून में संशोधन करने का प्रावधान किया गया । इन प्रस्तावों को अधिसूचित किया जाना बाकी है। कैट ने उन प्रस्तावों में कुछ पर संशोधन करने का आग्रह भी किया है।

श्री पारवानी एवं श्री दोशी ने यह भी कहा कि एक ऐसे क्षेत्र में जो सीधे तौर पर लोगों के स्वास्थ्य से संबंधित है, यह अजीब बात है कि एक बिना लाइसेंस वाले ऑपरेटर को बिना किसी जिम्मेदारी के काम करने की अनुमति कैसे दी जा सकती है। उपरोक्त के अलावा यह आवश्यक है कि केवल उन्हीं लोगों को ई-फार्मेसी के रूप में संचालित करने की अनुमति दी जा सकती है जिनके पास अपनी स्वयं की इन्वेंट्री है और जिन्होंने अधिनियम और संशोधित नियमों के तहत लाइसेंस प्राप्त किया है। इसके अलावा, उन्हें यह सुनिश्चित करने की भी आवश्यकता है कि अधिनियम के तहत लाइसेंस प्राप्त परिसर तथा पंजीकृत योग्य फार्मासिस्ट द्वारा ही दवाओं का वितरण किया जाए।

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