13 मंत्री बनाना असंवैधानिक और ग़लत, एक मंत्री को तत्काल हटाएं विष्णुदेव साय: भूपेश बघेल


रायपुर। छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा है कि राज्य में कल हुआ मंत्रिमंडल का विस्तार असंवैधानिक और ग़लत है. उन्होंने कहा है कि यह संविधान के अनुच्छेद 164(1A) का उल्लंघन है और बिलासपुर हाईकोर्ट के निर्णय का भी. उन्होंने कहा है कि यदि राज्य सरकार ने इसकी विधिवत अनुमति नहीं ली है तो एक मंत्री को तत्काल मंत्रिमंडल से हटाया जाना चाहिए.
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उल्लेखनीय है कि भाजपा सरकार के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने बुधवार को अपने मंत्रिमंडल का विस्तार कर प्रदेश में 14 वें मंत्री को शपथ दिलाई है. पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा है कि एक अतिरिक्त सदस्य को शपथ दिलाना संविधान के प्रावधानों का उल्लंघन करता है इसलिए इस मंत्रिमंडल विस्तार को तत्काल निरस्त करना चाहिए.अगर इसके लिए केंद्र सरकार या किसी उपयुक्त अदालत से अनुमति ली गई हो तो इस अनुमति को तत्काल सार्वजनिक करना चाहिए.
उन्होंने कहा है कि चूंकि मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय की ओर से अब तक कोई स्पष्टीकरण नहीं दिया गया है इसलिए प्रतीत होता है कि यह असंवैधानिक है.

संविधान का प्रावधान
संविधान की के अनुच्छेद 164 में 91वें संविधान संशोधन अधिनियम, 2003 के तहत संशोधन किया गया था.
यह परिवर्तन 1 जनवरी, 2004 से प्रभावी हुआ। इस संशोधन के तहत अनुच्छेद 164 में खंड (1A) और (1B) जोड़े गए.
विभिन्न राज्यों में बढ़ते मंत्रिमंडल के आकार और दल-बदल की घटनाओं के कारण इस संविधान संशोधन की आवश्यकता को महसूस किया गया था. यानी अनुच्छेद 164 में संशोधन का मुख्य उद्देश्य मंत्रिमंडल के आकार को नियंत्रित करना, दल-बदल को हतोत्साहित करना और सुशासन को बढ़ावा देना था.
बिलासपुर हाईकोर्ट का फैसला
पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने जानकारी दी है कि वर्ष 2016 और 2017 में छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में दो याचिकाएं दायर की गई थीं.एक याचिका WP(PIL) No 119 of 2016 के याचिकाकर्ता श्री राकेश चौबे थे और दूसरी याचिका WP(C) No 3 of 2017 श्री मोहम्मद अकबर ने दायर की थी. उन्होंने कहा है कि ये दोनों याचिकाएं छत्तीसगढ़ में संसदीय सचिव की नियुक्ति को चुनौती देने के लिए लगाई गई थी.याचिकाकर्ताओं का तर्क था कि संसदीय सचिवों की नियुक्ति संविधान के अनुच्छेद 164 में किए गए संशोधन के अनुरूप नहीं है.
13 अप्रैल 2018 को इन दोनों याचिकाओं का निराकरण एक साथ करते हुए हाईकोर्ट की दो न्यायाधीशों की बेंच ने फैसला दिया था कि संसदीय सचिव मंत्रिमंडल का हिस्सा नहीं होते इसलिए यह संविधान का उल्लंघन नहीं है.।फैसला देते हुए न्यायाधीश द्वय टीबी राधाकृष्णन और एसके गुप्ता ने कहा था, “छत्तीसगढ़ विधानसभा में 90 सदस्य हैं. एक मुख्यमंत्री और 12 सदस्यों के साथ मंत्रिमंडल का आकार 13 सदस्यों का हो जाता है. संविधान के अनुच्छेद 164(1A) के तहत इसकी पूर्णत: अनुमति है.”
इसका अर्थ यह है कि छत्तीसगढ़ में मंत्रिमंडल में मुख्यमंत्री सहित सदस्यों की संख्या अधिकतम 13 हो सकती है.
चूंकि माननीय हाईकोर्ट ने संसदीय सचिवों की नियुक्ति को ग़लत नहीं ठहराया था, हमने अपनी सरकार में भी संसदीय सचिवों की नियुक्ति की थी.
एक मंत्री को तत्काल हटाएं
कल जो मंत्रिमंडल का विस्तार हुआ है उसके अनुसार अब छत्तीसगढ़ के मंत्रिमंडल में मुख्यमंत्री सहित कुल 14 सदस्य हो गए हैं. पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा है कि स्पष्ट है कि यह असंवैधानिक है और संविधान के अनुच्छेद 164(1A) का उल्लंघन है. उन्होंने कहा है कि छत्तीसगढ़ सरकार को तुरंत स्पष्ट करना चाहिए कि एक अतिरिक्त मंत्री को शपथ किस आधार पर दिलवाई गई है? क्या इसके लिए केंद्र सरकार, सुप्रीम कोर्ट या हाईकोर्ट से कोई विशेष अनुमति ली गई है? और यदि ली गई है तो इसका क्या आधार है?
पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा है कि यदि सरकार के पास स्पष्टीकरण नहीं है तो मंत्रिमंडल से एक सदस्य को तत्काल हटाना चाहिए.

