राजस्व अधिकारियों की हड़ताल खत्म, मंत्री टंक राम वर्मा के आश्वासन पर काम पर लौटे; तीन माह में मांगें पूरी करने का भरोसा

गोवर्धन प्रसाद ताम्रकार: अहिवारा। छत्तीसगढ़ में पिछले कई दिनों से चल रही राजस्व अधिकारियों की हड़ताल आखिरकार समाप्त हो गई है। राजस्व मंत्री श्री टंक राम वर्मा के सकारात्मक हस्तक्षेप और मांगों पर समयबद्ध कार्रवाई के ठोस आश्वासन के बाद राजस्व अधिकारी संघ ने अपनी हड़ताल वापस लेने की घोषणा कर दी है। इस महत्वपूर्ण निर्णय के बाद प्रदेश भर के राजस्व अधिकारी तत्काल प्रभाव से अपने काम पर लौट आए हैं, जिससे राजस्व संबंधी रुके हुए शासकीय कार्यों के फिर से गति पकड़ने की उम्मीद है।

 

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ज्ञात हो कि प्रदेश के राजस्व अधिकारी अपनी 17 सूत्रीय मांगों को लेकर 28 जुलाई से चरणबद्ध आंदोलन कर रहे थे। मांगों पर विगत में कोई सकारात्मक पहल न होने से अधिकारियों में नाराजगी थी। इसी क्रम में शुक्रवार को राजस्व मंत्री श्री टंक राम वर्मा के निवास कार्यालय में एक उच्च स्तरीय और निर्णायक बैठक हुई। इस बैठक में राजस्व सचिव, राजस्व संचालनालय के संचालक, उप सचिव और राजस्व अधिकारी संघ के प्रतिनिधिमंडल के बीच विस्तृत चर्चा हुई।

बैठक के दौरान संघ के प्रतिनिधियों ने अपनी समस्याओं और मांगों को पूरी गंभीरता के साथ विभागीय अधिकारियों और मंत्री के समक्ष रखा। संघ ने विशेष रूप से तहसील स्तर पर प्रशासनिक ढांचे को मजबूत करने की आवश्यकता पर जोर दिया। उनकी प्रमुख मांगों में प्रत्येक तहसील में दो कुशल कंप्यूटर ऑपरेटर और एक चौकीदार की कलेक्टर दर पर शीघ्र नियुक्ति, डिप्टी कलेक्टर के पद पर पदोन्नति के लिए पूर्व की भांति 50 प्रतिशत के अनुपात को फिर से बहाल करना, और नायब तहसीलदार के पद को राजपत्रित दर्जा प्रदान करना शामिल था। इसके अतिरिक्त, अधिकारियों ने वेतन विसंगतियों को दूर करने हेतु ग्रेड-पे में सुधार के लिए एक समिति के गठन और सभी तहसीलों में शासकीय वाहनों की उपलब्धता सुनिश्चित करने की भी मांग रखी।

मंत्री श्री टंक राम वर्मा ने संघ की सभी बातों को गंभीरता से सुना और उन्हें संबोधित करते हुए कहा, “राजस्व विभाग शासन की रीढ़ है और इसमें अधिकारियों की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है। शासन उनकी समस्याओं को लेकर पूरी तरह गंभीर है और इनके उचित समाधान के लिए कटिबद्ध है।”

मंत्री और वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा दिए गए इस ठोस आश्वासन और मांगों के निराकरण के लिए आगामी तीन माह की समय-सीमा तय किए जाने के बाद संघ ने आंदोलन समाप्त करने का निर्णय लिया। संघ के पदाधिकारियों ने प्रशासन द्वारा दिखाए गए सकारात्मक दृष्टिकोण, संवेदनशीलता और सम्मानजनक संवाद को स्वीकार करते हुए भरोसा जताया कि राज्य शासन उनकी मांगों का समय पर समाधान करेगा। हालांकि, संघ ने यह भी स्पष्ट किया कि यदि निर्धारित समय-सीमा में संतोषजनक समाधान नहीं होता है, तो वे अपने लोकतांत्रिक अधिकारों का उपयोग करते हुए पुनः आंदोलन की राह पर जाने के लिए विवश होंगे, जिसकी सूचना पूर्व में दी जाएगी।

इस सफल वार्ता के बाद अब प्रदेश में नामांतरण, सीमांकन, जाति-निवास प्रमाण पत्र बनाने जैसे आम जनता से जुड़े महत्वपूर्ण कार्यों में तेजी आएगी और लोगों को बड़ी राहत मिलेगी।

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