रायपुर। रिटायर्ड एएसपी राजीव शर्मा द्वारा कहा गया है, कि कायदे से पुलिस प्रशासन को समय-समय पर क्षेत्र की नई बसाहट वाली बीएसयूपी कालोनियों की जांच करनी चाहिए। कई बार ऐसा होता है, कि घटना के बाद अपराधी भागते नहीं। ऐसे लोग आसानी से पकड़ में आ सकते हैं। समय-समय पर दबिश देने से आउटर की कॉलोनियों में छिपे दूसरे राज्यों के अपराधी हत्थे चढ़ते हैं। इसके अलावा दुकानों में काम करने वाले कर्मचारीयों एवं किराए में रहने वाले किराएदारों का रिकॉर्ड भी क्षेत्रीय पुलिस के पास होना चाहिए। इनकी जानकारी के आधार पर उनके अपराधिक रिकॉर्ड के मुताबिक डाटा तैयार किया जा सकता है। इस तरीके से भी घटना की जांच में पुलिस को मदद मिलेगी क्योंकि इस तरह की जांच के जरिए पूर्व में कई बड़े मामलों में संलिप्त अपराधी पुलिस के हत्थे चढ़े हैं।*
*अधिकारिक लापरवाही से नहीं बन पा रहा डाटा…*
*राजधानी में बाहर से आने वाले अपराधी आसानी से पनाह ले रहे हैं। क्योंकि इनकी जानकारी मकान मालिकों द्वारा थाने में देने के बजाय खानापूर्ति की जाती है। घटना होने पर पुलिस को संदेही की सही जानकारी भी नहीं देते हैं। इसलिए किरायेदारों का रिकॉर्ड तैयार होना चाहिए। इसमें जांच में मदद मिलेगी।*
*आउटर्स की कॉलोनियों की जांच करना भी जरूरी…*
*पुलिस महकमे को आउटर्स की कालोनियों पर पैनी नजर रखनी चाहिए। वहां सूचना तंत्र मजबूत करने से भी आदतन अपराधी आसानी से पकड़ में आएंगे। क्योंकि ऐसे लोग शहर में नहीं बल्कि आउटर्स में रहने वाले लोगों के बीच ठिकाना बनाते हैं। इसलिए समय-समय पर जांच जरूरी है।*