किराना दुकान की मालकिन बनकर कमा रही है 60 हज़ार से अधिक

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कोरिया। विमला का हमेशा से सपना था कि वो अपना व्यवसाय करे। जो उनकी पहचान बने और परिवार को भी सहारा मिले। मन मे दबी इस मंशा को पूरा करने के लिए विमला को ज़रूरत थी सही मार्गदर्शन कीए जिसे पूरा किया बिहान ने। घर.परिवार की जिम्मेदारियों के बीच विमला ने अपने लिए समय निकाला और राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन से जुड़ी।
विकासखण्ड बैकुंठपुर के ग्राम आँजोकला की रहने वाली विमला माँ शारदा महिला स्व सहायता समूह के ज़रिए बिहान से जुड़ी। छत्तीसगढ़ राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत ग्रामीण क्षेत्र में निवासरत महिलाओं एवं युवतियों को स्व.सहायता समूह के रूप में संगठित कर उन्हें प्रेरित कर विभिन्न आजीविका गतिविधियों का प्रशिक्षण देकर स्वरोजगार से जोड़ा जा रहा है। शासन की महत्वाकांक्षी योजना राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन बिहान द्वारा ही विमला ने आजीविका के लिए वित्तीय सहायता प्राप्त की जिससे उसे अपने किराना दुकान के सपने को साकार करने में मदद मिली।
विमला दीदी बताती है कि मां शारदा महिला स्व सहायता समूह में 10 सदस्य है। समूह से जुड़ने के बाद मैंने 2019 से किराना दुकान का कार्य शुरू किया। मुझे समूह को प्राप्त बैंक लोन की राशि मे से 20 हजार रुपये प्रोत्साहन के रूप में प्राप्त हुए। किराना दुकान से प्रतिवर्ष 60.70 हजार रुपये प्राप्त हो जाते हैं। उनका मानना है कि बिहान योजना से जुड़कर वे स्वयं को आत्मनिर्भर बनाने में सक्षम हुईं हैं जिससे वे अपने एवं अपने परिवार की भी मदद कर पा रहीं हैं साथ ही समाज में एक नई पहचान मिली है।

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