जीएसटी सरलीकरण से व्यापार एवं उद्योग जगत को लाभ होगा – अमर पारवानी

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छत्तीसगढ़ चेम्बर ऑफ कॉमर्स एण्ड़ इंडस्ट्रीज के प्रदेश अध्यक्ष अमर पारवानी, कैट के प्रदेश कार्यकारी अध्यक्ष विक्रम सिंहदेव, चेम्बर के महामंत्री अजय भसीन एवं कोषाध्यक्ष उत्तम गोलछा ने बताया कि आज चेम्बर ने माननीय मंत्री श्री टी.एस. सिंहदेव जी को पत्र जारी कर आगामी 28 मई 2021 को जीएसटी कांऊसिल की होने वाली 43 वीं बैठक हेतु जीएसटी में आवश्यक सुधार हेतु अपने सुझाव दिये है।

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श्री अमर पारवानी ने माननीय मंत्री जी को पत्र के माध्यम से अवगत कराया कि विगत दिनों छत्तीसगढ़ चेम्बर ऑफ कामर्स एवं व्यापारिक संगठनों की एक मिटिंग हुई थी, जिसमे जीएसटी सरलीकरण एवं विसंगतियो को दूर करने हेतु औद्योगिक एवं व्यापारिक संगठनों द्वारा सुझाव दिए गए थे । प्राप्त सुझावों का बिन्दुवार विष्लेषण करते हुए पत्र में इन सुझावों को बैठक में रखे जाने हेतु माननीय मंत्री जी से अनुशंसा किए जाने का आग्रह किया गया है ।

छत्तीसगढ़ चेम्बर ऑफ कॉमर्स ने अपने सुझाव दिये जो निम्नानुसार हैः-
* इनपुट क्रेडिट का 105 प्रतिशत सम्बधित प्रावधान ।
* नियम 86 बी- Restriction of ITC to 99%
* नियम 21 जीएसटी पंजीकरण का निलंबन/निरस्तीकरण
* ई-वे बिल की वैधता अवधि में 50 प्रतिशत की कटौती
* ई-इनवॉइसिंग के , 1 अप्रेल 2021 से रु. 50 करोड़ तक के टर्नओवर वाले व्यापारियों पर लागु किए गए प्रावधान वापस लेने बाबत ।
* छुटे हुए इनपुट टैक्स क्रेडिट लेने एवं वार्षिक विवरण पत्र में संशोधन किए जाने हेतु अवसर प्रदान करने बाबत् ।
* जीएसटी वार्षिक विवरण के सम्बंध में सुझाव ।
* जीएसटी प्रणाली में ब्याज की गणना के प्रावधान को बदलने बाबत ।
* ब्याज, पेनाल्टी एवं विलंब शुल्क से छुट प्रदान करने हेतु ।
*माल के परिवहन एवं ई-वे बिल सम्बंधित समस्याएं ।
* RCM संबधित प्रावधान ।
*जीएसटी का रजिस्ट्रेशन सरेंडर करने बाबत ।
* स्पॉट ऑडिट संबधित प्रावधान ।
* रिटर्न सम्बंधित अन्य समस्याए ।
* जीएसटी के प्रावधानों में सुधार हेतु अन्य सुझाव ।
* व्यवसाय को राहत देने एवं Ease of doing हेतु सुझाव ।
* जीएसटी की दर में कमी करने हेतु सुझाव ।
* एक व्यवसाय एक कर ।
चेम्बर अध्यक्ष श्री पारवानी ने माननीय मंत्री जी से कहा की वर्तमान में व्यापारी वर्ग जीएसटी की दरों से जितना परेशान नही है उससे अधिक परेशान जीएसटी में परिवर्तन की दरों (जीएसटी के प्रावधानों में निरंतर हो रहे संशोधनों) से है । अतः यह सुनिश्चित किया जाए कि जीएसटी के प्रावधानों में संशोधन कम हो एवं संशोधन वित्तीय वर्ष के प्रारंभ से ही लागू हो।
श्री पारवानी ने माननीय मंत्री जी से निवेदन किया कि व्यापार एवं उद्योग के हित मे तथा जीएसटी के सरलीकरण के दिशा में उपरोक्त सुझावों को ध्यान में रखते हुए कानून बनाया जाना न्यायोचित होगा ।

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