महिला जज ने मुख्य न्यायाधीश से पत्र लिखकर मांगी इच्छा मृत्यु, लगाया शारीरिक, मानसिक प्रताड़ना का आरोप.

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महिला जज ने मुख्य न्यायाधीश से पत्र लिखकर मांगी इच्छा मृत्यु, लगाया शारीरिक, मानसिक प्रताड़ना का आरोप.
महिला जज ने मुख्य न्यायाधीश से पत्र लिखकर मांगी इच्छा मृत्यु, लगाया शारीरिक, मानसिक प्रताड़ना का आरोप.
kabaadi chacha

बांदा| जनपद के बबेरू न्यायालय में महिला जज ने अपना जीवन समाप्त करने की अनुमति मांगी है. महिला सिविल जज जूनियर डिवीजन ने देश के मुख्य न्यायाधीश को पत्र लिखकर सनसनी फैला दी है. जो कि अब सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है.

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वायरल पत्र में सिविल जज ने लिखा है कि इसे बेहद निराशा में लिख रहीं हूं. इस पत्र का मेरी कहानी बताने और प्रार्थना करने के अलावा कोई उद्देश्य नहीं है. मेरे सबसे बड़े अभिभावक (सीजेआई) मुझे अपना जीवन समाप्त करने की अनुमति दें।. पत्र में लिखा गया है कि मैं बहुत उत्साह और इस विश्वास के साथ न्यायिक सेवा में शामिल हुई कि मैं आम लोगों को न्याय दिलाऊंगी.

लेकिन मुझे क्या पता था कि मैं जिस भी दरवाजे पर जाऊंगी, मुझे जल्द ही न्याय के लिए भिखारी बना दिया जाएगा. मेरी सेवा के थोड़े समय से मुझे खुली अदालत में डायस पर दुर्व्यवहार का दुलर्भ सम्मान मिला है. मेरे साथ हद दर्जे तक यौन उत्पीड़न किया गया है. मेरे साथ बिल्कुल कूड़े जैसा व्यवहार किया गया है. मैं एक अवांछित कीट की तरह महसूस करती हूं और मुझे दूसरों को न्याय दिलाने की आशा थी. मैं कितनी भोली हूं.

शिकायत करोगी, तो प्रताड़ित किया जाएगा
मैं भारत की सभी महिलाओं से कहना चाहती हूं कि यौन उत्पीड़न के साथ जीना सीखे. यह हमारे जीवन का सत्य है. पोस एक्ट हमसे बोला गया एक बड़ा झूठ है. कोई सुनता नहीं, कोई परेशान नहीं करता. शिकायत करोगी, तो प्रताड़ित किया जाएगा. विनम्र रहें और जब मेरा मतलब है कि कोई नहीं सुनता, तो इसमें सुप्रीम कोर्ट भी शामिल है. आपको आठ सेकेंड की सुनवाई, अपमान और जुर्माना लगाने की धमकी मिलेगी.

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