41 जिंदगियों को बचाने के लिए, एक दो नहीं बल्कि पांच प्लान एक साथ शुरू बचाव कार्य

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41 जिंदगियों को बचाने के लिए, एक दो नहीं बल्कि पांच प्लान एक साथ शुरू बचाव कार्य
41 जिंदगियों को बचाने के लिए, एक दो नहीं बल्कि पांच प्लान एक साथ शुरू बचाव कार्य

उत्तरकाशी / उत्तरकाशी में चल रहा राहत कार्य अब एक युद्ध बनता जा रहा है, सिलक्यारा सुरंग में फंसी 41 जिंदगियों को बचाने के लिए अब तक जो भी प्रयास किए गए हैं वे सफल साबित नहीं हो सके. समय बीतता जा रहा है, मजदूर स्वस्थ हैं, लेकिन बाहर आने की बेचैनी कहीं न कहीं उनमें भी बढ़ रही है. बाहर परिवारीजन बेचैन हैं तो राहत दल के जवानों को भी चिंता सता रही है. ऑगर मशीन के ब्लेड टूटने के बाद अब राहत टीम ने चारों ओर से टनल पर प्रहार करने की तैयारी कर ली है. इसके लिए एक-दो नहीं बल्कि पांच प्लान एक साथ शुरू कर दिए गए हैं। ऑगर मशीन के फंसे हिस्सों को निकालने के लिए प्लाज्मा कटर मंगाया गया है. वहीं वर्टिकल ड्रिलिंंग भी शुरू कर दी गई है. मैनुअल यानी हाथ से ड्रिलिंग की भी तैयारी है, इसके लिए भारतीय सेना के जवानों को बुला लिया गया है.

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भारतीय सेना के जवानों ने मोर्चा संभाल लिया है. वर्टिकल ड्रिलिंग भी शुरू कर दी गई है.यमुनोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग पर निर्माणाधीन सिलक्यारा सुरंग का एक हिस्सा 12 नवंबर को ढह गया था. तब से मजदूरों को बाहर निकालने के लिए लगातार युद्धस्तर पर काम चलाया जा रहा है. हर बार लगता है कि अब टीम मजदूरों तक पहुंचने में कामयाब होगी, लेकिन कोई न कोई अड़चन रास्ता रोक ही लेती है.

शुक्रवार को टीम को पूरा भरोसा था कि शनिवार सुबह तक सभी मजदूर बाहर निकाल लिए जाएंगे. तब तक ऑगर मशीन की मजदूरों से दूरी सिर्फ 10 मीटर शेष थी, कि तभी लोहे की कोई चीज सामने आने से मशीन फस गईं और आगे खुदाई नहीं की जा सकी. अब राहत टीम इस फंसी मशीन को बाहर निकालने में जुटी है. सोमवार सुबह तक मशीन के हिस्से बाहर आने के बाद इसकी मैनुअल खुदाई कराई जाएगी, जिसके लिए भारतीय सेना के जवानों को बुलाया गया है.अब इन विकल्पों पर हो रहा काम

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मैनुअल खुदाई : मजदूरों को बाहर निकालने के लिए अब तक ऑगर मशीन से ड्रिलिंग की जा रही थी, लेकिन मशीन फंसने की वजह से इस अभियान में बड़ी अड़चन आई है. अब राहत टीम ने यहां पर ऑगर मशीन से नहीं बल्कि मैनुअल खुदाई कराने की तैयारी कर ली है. इसके लिए भारतीय सेना को बुलाया गया है. हालांकि चुनौती ये है कि मैनुअल खुदाई के लिए राहत दल के जवानों को पाइप के अंदर जाना होगा. इस काम में भारतीय सेना सहयोग करेगी.

वर्टिकल खुदाई : राहत टीम ने मजदूरों तक जल्द से जल्द पहुंचने के लिए वर्टिकल खुदाई भी शुरू कर दी है, रविवार दोपहर 12 बजे इसकी शुरुआत की गई. राहत टीम अब तक 15 मीटर खुदाई पूरी कर ली गई है. इसे 86 मीटर तक किया जाना है. बताया जा रहा है कि राहत टीम पहले इस वर्टिकल ड्रिलिंग का असर देख रही है, इसके लिए फिलहाल छह मीटर व्यास का पाइप डाला गया है, यदि ये रास्ता सुरक्षित लगता है तो फिर वर्टिकल ड्रिलिंग का काम ही तेज कर दिया जाएगा.

दूसरी तरफ से खुदाई : सिलक्यारा सुरंग को दूसरे छोर से भी खोदने की तैयारी है. यह बड़कोट इलाका है, बताया जाता है कि यहां से मजदूरों तक की दूरी 500 मीटर है. इस दिशा में अगर राहत टीम काम करती है तो इसमें टाइम ज्यादा लगेगा, इसमें राहत टीम पूरी सुरंग की ही खोदाई करेगी, जब मजदूरों तक दूरी कम रह जाएगी तो फिर छोटी मशीन से ड्रिल करके रास्ता बनाया जाएगा.

सुरंग के दोनों तरफ ड्रिलिंग : राहत टीम ने सुरंग के दोनों तरफ ड्रिलिंग काम भी शुरू कर दिया है, दरअसल अब तक ऑगर मशीन जहां ड्रिलिंग कर रही थीं वहां कोई ऐसी चीज रास्ते में आ रही है, जिसके आगे ऑगर मशीन भी बेअसर है. ऐसे में राहत टीम दोनों ओर समानांतर ड्रिलिंग कर रही है, जिस रास्ते ड्रिलिंग जल्दी होगी मजदूरों को उसी रास्ते बाहर निकाल लिया जाएगा.

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माइक्रो टनलिंग : इन विकल्पों के अलावा एक माइक्रो टनलिंग पर भी काम शुरू कर दिया गया है, इसके लिए टेहरी हाइड्रो डेवलपमेंट कारपोरेशन को लगाया गया है. मशीनरी जुटा ली गई है, माना जा रहा है कि इस पर भी जल्द ही काम शुरू कर दिया जाएगा.Uttarakhand Rescueउत्तराखंड में सिलक्यारा सुरंग के पास एक समानांतर सुरंग की तैयारी की जा रही है.

चुनौती बनता जा रहा राहत कार्यसिलक्यारा टनल में चल रहा राहत कार्य धीरे-धीरे चुनौती बनता जा रहा है, हालांकि अंतरराष्ट्रीय टनलिंग विशेषज्ञ अर्नाल्ड डिक्स का कहना है कि हम सभी विकल्पों पर विचार कर रहे हैं. मजदूरों को निकाला जाना प्राथमिकता है. वह कहते हैं कि सुरंग जहां ढही है वहां चट्टानों की स्थिति बदलती रहती है, जहां मलबा गिरा है वहां पर पहले ऐसा कोई संकेत नहीं मिला था. इसलिए ये हमारे लिए चुनौती है.फंसी ऑगर मशीन को बाहर निकालेगा प्लाज्मा कटरऑगर मशीन के फंसे हिस्सों को बाहर निकालने के लिए हैदराबाद से प्लाज्मा कटर मंगाया गया है.

यह देहरादून एयरपोर्ट पर पहुंचा. यहां से उसे ग्रीन कॉरिडोर बनाकर सिलक्यारा सुरंग तक लाया जा रहा है. टिहरी और उत्तरकाशी पुलिस प्रशासन के मुताबिक यह देर शाम तक सिलक्यारा में पहुंच जाएगा. माना जा रहा है कि सोमवार सुबह तक यह सुरंग में फंसे ऑगर मशीन के हिस्से को बाहर निकाल लेगा, इसके बाद मैनुअल ड्रिलिंग शुरू की जाएगी.हर विकल्प पर कर रहे विचारउत्तराखंड के अतिरिक्त सचिव तकनीकी सड़क और परिहवन महमूद अहमद ने बताया कि मजदूरों को बचाने के लिए हर हम विकल्प पर विचार कर रहे हैं. 2-3 विकल्पों पर काम शुरू कर दिया गया है. सिल्क्यारा की ओर से सुरंग पर काम चल ही रहा है. वर्टिकल ड्रिलिंग शुरू कर दी गई है, दूसरी ओर से सुरंग को खोदने और समानांतर सुरंग की खोदाई पर भी काम चल रहा है।

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