गृहमंत्री कार्यालय ने राज्य कर्मचारी संघ छत्तीसगढ़ को सूचित किया है कि उनके पत्र को संज्ञान में लेकर उसे पुलिस महानिदेशक छत्तीसगढ़ को भेजकर परीक्षण कर तत्काल निराकरण करने का निर्देश दिया है।गृह मंत्री को राज्य कर्मचारी संघ ने अपने पत्र में अवगत कराया है कि सन 1967 में एकीकृत मध्यप्रदेश में पुलिस विभाग के बाबुओं को, अनुशासन के नाम पर, धरना, प्रदर्शन और हड़ताल से दूर रखने के लिए कार्यपालिक बल की भांति रेंक देते हुए तदनुसार वर्दी आदि निर्धारित किया गया। जिसमें मध्यप्रदेश के समय से स्टेनो संवर्ग को सूबेदार रेंक दिया गया है। किन्तु, छ ग में मध्यप्रदेश की भांति स्टेनो संवर्ग को उप पुलिस अधीक्षक एवम् अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक पद पर पदोन्नत करने का प्रावधान नहीं रखा गया है। छत्तीसगढ़ पुलिस में स्टेनो संवर्ग के कर्मचारियों के बारम्बार मांग करने के बावजूद पदोन्नति का चैनल निर्धारित नहीं किया जा रहा है, जबकि इसके विपरित लिपकीय संवर्ग के लिए पुलिस उप अधीक्षक के 11 पद सृजित कर उनको अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक तक पदोन्नत किए जाने का प्रावधान रखा गया है। उल्लेखनीय है कि पूर्व वर्ती मध्यप्रदेश में गैर सचिवालयीन स्टेनो संवर्ग की पदोन्नति के लिए बनाए गए नियम को आधार बनाकर छत्तीसगढ़ पुलिस में भी स्टेनो संवर्ग को पदोन्नति दी जा रही है, परंतु यह केवल वेतन के उन्नयन तक सीमित होता है, पद में कोई उन्नयन नहीं होता अर्थात स्टेनो के पद पर भरती व्यक्ति स्टेनो के पद से ही रिटायर हो जाता है, जबकि पुलिस रेगुलेशन के तहत स्टेनो (सूबेदार) से स्टेनो (निरीक्षक), निरीक्षक से उप पुलिस अधीक्षक और उप पुलिस अधीक्षक से अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक के पद पर मध्यप्रदेश की भांति प्रमोसन देना चाहिए। क्योंकि लिपिकीय कैडर में मध्यप्रदेश की तरह निम्न वर्ग लिपिक को को प्रारम्भिक रेंक सहायक उप निरीक्षक से उप निरीक्षक, उप निरीक्षक से निरीक्षक और निरीक्षक से डीएसपी और डीएसपी से एडीएसपी के पदों पर पदोन्नति का प्रावधान उपलब्ध है। इसी तरह छत्तीसगढ़ पुलिस में पुलिस रेगुलेशन अनुरूप मैदानी आरक्षक, उप निरीक्षक एवम् सूबेदार को उतरोत्तर अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक तक पदोन्नति पाने का चैनल बना हुआ है। परन्तु अन्य लिपकीय पदों की तरह स्टेनो संवर्ग से पदोन्नति की मांग छत्तीसगढ़ राज्य बनने के 20 साल बाद भी उपेक्षित है। ज्ञात हो कि पीएचक्यू कैडर में भरती निम्न वर्ग का लिपिक (AS I) 3 साल में उच्च वर्ग लिपिक (S I) बन जाता है, जबकि जिला कैडर में भरती निम्न वर्ग लिपिक 28 साल से पदोन्नति की राह देख रहे हैं। अधिकृत सूत्रों से जानकारी मिली है कि मैदानी सहायक उप निरीक्षकों को पदोन्नत करने के लिए बनाए गए नियम का लाभ उठा कर पीएचक्यू में निम्न वर्ग लिपिक (A S I) के पदों में सेवारत लोग उप निरीक्षक के पदों में पदोन्नति ले रहे हैं, जबकि स्थायीकरण के लिए 5 साल की सेवा आवश्यक होता था (अब शासन द्वारा जिसे 3 वर्ष किया गया है) अर्थात बिना स्थायीकरण के पीएचक्यू संवर्ग के लिपकीय एएसआई को लिपकीय उप निरीक्षक के पदों पर पदोन्नत किया गया है। जबकि ये प्रावधान केवल मैदानी सहायक उप निरीक्षकों के लिए बनाया गया है। इसका लाभ पी एच क्यू संवर्ग लिपकीय वर्ग उठा रहे हैं।
यह भी गौर तलब है कि निम्न वर्ग लिपिक और स्टेनो संवर्ग की भरती के लिए एक ही एसोपी है, परंतु लिपिकों की पदोन्नति उसी भरती नियम से हो जाती है और स्टेनो के सन्दर्भ में भरती नियम में उल्लेख न होने का तर्क दिया जाता है।इस विसंगति की ओर स्टेनो संवर्ग द्वारा बारम्बार ध्यान आकृष्ट किए जाने के बाद भी जिम्मेदार अधिकारियों के स्तर पर ध्यान नहीं दिया जाता। यही नहीं विभाग में सबको तृतीय समयमान का लाभ दिया जा रहा है, परंतु स्टेनो संवर्ग इससे वंचित है, किसी स्टेनो ने प्रयास करके तृतीय समयमान ले भी लिया है, तो रिटायरमेंट के बाद ट्रेज़री की मदद से पेंशन निर्धारण नहीं कराया जा रहा है। जबकि सीधी भरती के समस्त पदों को तृतीय समयमान की पात्रता है। बताया जाता है कि Asi के प्रारम्भिक पदों पर भरती होने वाले लिपिकों को सूबेदार के प्रारम्भिक पद पर भरती होने वाले स्टेनो संवर्ग की तरह समयमान में उच्चतर वेतन का लाभ नहीं मिलता, इसलिए वे लोग स्टेनो संवर्ग को भी इसका लाभ नहीं लेने दे रहे हैं और वेतन आदि के भुगतान के लिए ट्रेज़री के सम्पर्क में यही लोग रहते हैं इसलिए ट्रेज़री के अधिकारी भी लिपिकों के हां में हां मिला देते हैं और अधिकारी संतुष्ट हो जाते हैं। स्टेनो कोई तर्क रखता भी है तो वह नक्कारखाने में तूती की तरह अनसुना कर दिया जाता है। बताया जाता है कि पीएचक्यू में बाबूराज का बोलबाला है, स्टेनो की बातों को अनसुना कर बाबुओं की बात ही सुनी जाति है, बाबू गलत तर्क, उदाहरण प्रस्तुत कर अधिकारियों को सहमत कर लेते हैं। यहां तक कि स्टेनो की पदोन्नति प्रस्ताव को मंत्रालय स्तर पर सम्पर्क कर अनर्गल आपत्ति करा करा कर कई सालों से लटकाने में कामयाब भी है। इसे संज्ञान में लेकर गृह मंत्री ने स्टेनो संवर्ग को भी पदोन्नति के अवसर उपलब्ध कराने हेतु निर्देशित किया है।