रायपुर|राज्य मनरेगा कार्यालय के नरवा प्रकोष्ठ द्वारा नरवा, गरवा, घुरवा, बारी कार्यक्रम के अंतर्गत नरवा उपचार के लिए डीपीआर तैयार करने अधिकारियों-कर्मचारियों को प्रशिक्षण दिया गया। ठाकुर प्यारेलाल राज्य पंचायत एवं ग्रामीण विकास प्रशिक्षण संस्थान, निमोरा में वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से तीन दिनों तक आयोजित प्रशिक्षण में प्रदेश के सभी जिलों और विकासखंडों में पदस्थ तकनीकी सहायकों, कार्यक्रम अधिकारियों, सहायक परियोजना अधिकारियों, ग्रामीण अभियांत्रिकी सेवा (आर.ई.एस.) के कर्मचारियों तथा विभिन्न लाइन डिपार्टमेंट के कर्मचारियों को प्रशिक्षित किया गया।
मनरेगा के मुख्य अभियंता श्री के.के.कटारे, अधीक्षण अभियंता श्री नारायण निमजेे, तकनीकी विशेषज्ञ श्री एम.एस. तिवारी तथा ‘प्रदान’ संस्था एवं आईसीआरजी (International Climate Resilient Growth) परियोजना के विषय विशेषज्ञों ने प्रशिक्षु अधिकारियों-कर्मचारियों को नरवा की अवधारणा, नरवा उपचार और अपेक्षित परिणामों के लिए संभावित नरवा उपचार के लिए डीपीआर तैयार करने एवं योजना की रोल-आउट प्रक्रिया पर विस्तृत जानकारी दी। साथ ही नरवा के संरक्षण-संवर्धन से जुड़े सभी भागीदारों, स्थानीय सामाजिक संस्थाओं एवं लाइन विभागों की जिम्मेदारियां भी साझा की गईंl सभी विकासखंडों में प्राथमिकता के आधार पर नरवा क्लस्टर परिसीमन और इस वर्ष अप्रैल माह से क्रियान्वयन शुरू करने के संबंध में भी निर्देश दिए गए।
राज्य मनरेगा कार्यालय की तकनीकी शाखा द्वारा आयोजित तीन दिवसीय ऑनलाइन प्रशिक्षण कार्यक्रम में सभी 28 जिलों के 1400 से अधिक अधिकारियों-कर्मचारियों का उन्मुखीकरण किया गया। छत्तीसगढ़ राज्य नरवा विकास कार्यक्रम के अंतर्गत हाई इम्पैक्ट मेगा वाटरशेड प्रोग्राम की राज्य कार्यक्रम प्रबंधन इकाई (State Program Management Unit) और आईसीआरजी परियोजना की राज्य टीम के सहयोग से ग्रामीण पारिस्थितिकी, ग्रामीणों के जीवन और आजीविका में सुधार के लिए नरवा के जल प्रवाह व जीवन काल में वृद्धि के संबंध में अधिकारियों-कर्मचारियों के उन्मुखीकरण और क्षमता निर्माण के लिए तकनीकी और आई.ई.सी. सामग्री भी तैयार की गई है। प्रशिक्षण के दौरान इनके उपयोग के बारे में भी आवश्यक दिशा-निर्देश दिए गए।