COVID-19|गुरुवार को पिछले 24 घंटे में 6 नवंबर, 2020 से सबसे ज्यादा कोरोना वायरस के मामले दर्ज किए गए. देश में उजागर हुए संक्रमण के मामलों की संख्या 53, 476 रही. महाराष्ट्र और पंजाब कोरोना वायरस की दूसरी लहर में बुरी तरह प्रभावित राज्य हैं. एसबीआई की रिसर्च रिपोर्ट में फरवरी महीने से शुरू हुए देश के संक्रमण की दूसरी लहर का विश्लेषण किया गया है. रिपोर्ट के मुताबिक, दूसरी लहर की पूरी अवधि 100 दिनों तक रह सकती है यानी 26 मई तक छुटकारा नहीं मिलने जा रहा है.
कोरोना की दूसरी लहर पहली के मुकाबले तीव्रता में ज्यादा
‘संक्रमण की दूसरी लहर: समापन की शुरुआत?’ नाम से तैयार की गई रिपोर्ट में मुख्य आर्थिक सलाहकार डॉक्टर सौम्या कांत घोष का कहना है, “हालांकि वैश्विक कोविड-19 का अनुभव पहली लहर के मुकाबले तीव्रता में दूसरी लहर से काफी ज्यादा दिखाई देता है, लेकिन वर्तमान परिस्थिति में वैक्सीन की मौजूदगी से फर्क पड़ा है और नियंत्रण के मामले में भारत की स्थिति को बेहतर दर्शाता है.”
भारत में कोविड-19 टीकाकरण अभियान 16 जनवरी से शुरू हुआ था और 24 मार्च तक 5.31 करोड़ लोगों को डोज लगाए जा चुके हैं. राजस्थान, गुजरात, केरल, उत्तराखंड और हरियाणा जैसे राज्यों में 20 फीसद से ज्यादा बुजुर्ग आबादी का टीकाकरण हो चुका है. चिंता का विषय पंजाब, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र और पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों के लिए है क्योंकि टीकाकरण की प्रक्रिया काफी धीमी है और रफ्तार को तेज करने की जरूरत है.
संक्रमण के बढ़ते मामले क्या लॉकडाउन की सुगबुगाहट है?
रिपोर्ट में बताया गया है कि अगर रोजाना भारत करीब 40-50 लाख लोगों को टीकाकरण करने में सक्षम है, तब 45 साल से ऊपर की आबादी का टीकाकरण अब से 4 महीनों में किया जा सकता है. देश भर की सतह पर कोविड-19 के मामलों में तेज वृद्धि इस बात का डर पैदा करती है कि पिछले साल की तरह लॉकडाउन वापस न आ जाए, अगर पूरे मुल्क में नहीं तो कम से कम बुरी तरह प्रभावित राज्यों में देखने को मिल सकता है.
रिपोर्ट में सुझाया गया है कि स्थानीय स्तर पर लॉकडाउन या प्रतिबंध से संक्रमण के फैलाव को काबू करने में निश्चित रूप से मदद नहीं मिला. लिहाजा टीकाकरण की गति को बढ़ाना कोविड-19 महामारी के खिलाफ जंग जीतने का मात्र एक तरीका है. हालांकि, रिपोर्ट में भारत की प्रशंसता करते हुए कहा गया है कि उभरती हुई अर्थव्यस्था के बीच देश की भूमिका सबसे अच्छी है.