ई कॉमर्स और जीएसटी के मुद्दे पर कैट ने प्रधानमंत्री मोदी से की हस्तक्षेप की मांग

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रायपुर। कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) के प्रदेश अध्यक्ष अमर परवानी, कार्यकारी अध्यक्ष मंगेलाल मालू, विक्रम सिंहदेव, महामंत्री जितेंद्र दोषी, कार्यकारी महामंत्री परमानंद जैन, कोषाध्यक्ष अजय अग्रवाल एवं प्रदेश मीडिया प्रभारी संजय चैबे ने बताया कि आगामी 26 फरवरी, 2021 को जीएसटी के जटिल प्रावधानों और ई-कॉमर्स कंपनियों की मनमानी के खिलाफ अपने ष्भारत व्यापार बंदष् के आह्वान के बीच कन्फेडरेशन ऑफ आल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने आज प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी को एक पत्र भेजकर जीएसटी कर प्रणाली को सरल बनाने और ई-कॉमर्स व्यापार को बड़ी कंपनियों की कुटिल प्रथाओं के चंगुल से निकालने के मामले पर उनके तत्काल हस्तक्षेप की मांग की। कैट ने प्रधान मंत्री श्री मोदी से बैंकों और ई-कॉमर्स कंपनियों के बीच अनैतिक सांठगांठ जिसके द्वारा बैंक इन कंपनियों द्वारा सरकार के नियम एवं कानून तथा नीतियों के उल्लंघन में भागीदार हैं, को तोड़ने की अपील की है।
कैट के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष श्री अमर पारवानी ने जीएसटी को लागू करने से पहले स्वर्गीय श्री अरुण जेटली के साथ जीएसटी पर हुई चर्चा को याद करते हुए कहा की सही जेटली ने स्पष्ट कहा था कि जीएसटी एक बेहतर एवं अत्याधिक सरल कर प्राणली होगी जिसके तहत व्यापारियों को केवल एक बार जीएसटी पोर्टल पर अपनी बिक्री के विवरण अपलोड करना आवश्यक होगा जिसके बाद पोर्टल ही स्वचालित रूप से बाकी सब कार्यवाई करेगा और व्यापारियों को केवल कर जमा कराना एवं रिटर्न जमा करना होगा जिससे व्यापारी आसानी से कर पालना कर सकेंगे। उन्होंने कहा कि जीएसटी को सबसे जटिल कर प्रणाली बना दिया है जो सरकार के ष्व्यापार करने में सुविधाष् वाली सोच के बिल्कुल विपरीत है। कैट ने आरोप लगाया है कि जीएसटी नियमों में संशोधन करते समय, ष्न्यूनतम सरकार-अधिकतम शासनष् के पीएम मोदी के मिशन वक्तव्य का उल्लंघन अधिकारियों को मनमाने ढंग से और अनफिल्टर्ड शक्तियाँ देकर इस हद तक किया गया है की बिना सुनवाई व्यापारियों को शो कॉज नोटिस जारी करने एवं उनपर करवाई करने का अधिकार दिया गया है। वर्तमान जीएसटी में एक छोटी सी त्रुटि के लिए भी विभिन्न एवं भारी दंड तय कर देश में कर आतंकवाद पनपाया जा रहा है । भले ही जीएसटी कॉउन्सिल ने जीएसटी नियमों में कई सौ बार संशोधन किया है, लेकिन जीएसटी रिटर्न को संशोधित करने के लिए एक भी अवसर व्यापारियों को नहीं दिया गया है । ष्त्रुटिष् और ष्चोरीष् के बीच अंतर को परिभाषित करना बेहद आवश्यक है।
श्री पारवानी ने कहा कि कर चोरी करने वालों और फर्जी बिलों में लिप्त लोगों को अनुकरणीय दंड दिया जाना चाहिए। ऐसे लोग ईमानदार व्यापारियों के व्यवसायों के लिए खतरे का कारण हैं जो कानून का पालन कर रहे हैं। ष् वर्तमान में जीएसटी कर से प्राप्त होने वाला राजस्व एवं जीएसटी में पंजीकृत लोग बेहद कम है और इन्हे बढ़ाये जाने की बड़ी संभावनाएं है पर थोडे़ समय मे इसे बढ़ाने की बहुत अधिक संभावनाएं हैं। लेकिन ये तभी संभव है जब जीएसटी कर प्रणाली को सरल और इस हद तक तर्कसंगत बनाया जाए कि किसी भी दूरदराज के इलाके में एक छोटा व्यापारी भी बहुत आसान तरीके से कानूनों और नियमों का पालन बिना चार्टर्ड एकाउंटेंट्स, टैक्स प्रैक्टिशनर्स या कर सलाहकारों के कर पाए पर इसके लिए बड़े पैमाने पर जागरूकता कार्यक्रम की आवश्यकता है।
श्री पारवानी ने जीएसटी कर संरचना की समीक्षा करने और इसे ष्गुड एंड सिंपल टैक्सष् बनाने के लिए प्रधानमंत्री से आग्रह किया है की सरकार को वरिष्ठ अधिकारियों, कैट प्रतिनिधियों एवं कर विशेषज्ञों का केंद्रीय स्तर पर एक ष्विशेष कार्यदलष् गठित किया जाए वही देश के सभी जिलों में एक जिला स्तरीय ष् जिला जीएसटी वर्किंग ग्रुपष् गठित करने का सुझाव दिया है । यह दोनों ग्रुप सरकारी अधिकारियों एवं व्यापारियों के बीच तालमेल करते हुए हर स्तर पर देश भर के संबंधित जिलों में कर आधार के विस्तार और राजस्व में वृद्धि के लिए कार्य करेंगे ।
ई कॉमर्स के मामले को प्रधानमंत्री के साथ उठाते हुए श्री परवानी ने कहा की बड़ी ई कॉमर्स कंपनियां भारत के ई कॉमर्स बाजार को विषाक्त करने में कोई कसर नहीं छोड़ रही हैं और खुलेआम सरकार के कानूनों, नियमों एवं नीतियों का उल्लंघन कर रहे हैं और उन्हें कानून और नियमों का उल्लंघन करने में कोई भय नहीं है। देश की अर्थव्यवस्था के साथ ये कंपनियां खिलवाड़ कर रही हैं और विशेष रूप से सरकार की एफडीआई नीति के प्रेस नोट 2 में जो प्रतिबंधित हैं उसको इन कंपनियों ने अपना व्यापारिक मॉडल बना लिया है और अब वे धीरे धीरे ईस्ट इंडिया कंपनी का दूसरा संस्करण बनते जा रहे हैं।
श्री परवानी ने केंद्रीय वाणिज्य मंत्री श्री पीयूष गोयल द्वारा इस सम्बन्ध में उठाए गए विभिन्न कदमों की सराहना की जिसमें उन्होंने न केवल ऐसी कंपनियों को नियमों के साथ खिलवाड़ बंद करने की चेतावनी दी है, बल्कि कानून के पालन को सुनिश्चित करने के लिए विभिन्न कदम उठाए हैं। लेकिन इन ई-कॉमर्स कंपनियों को देश के कानूनों के प्रति कोई सम्मान नहीं है। यह सबसे अधिक खेदजनक है कि कई सरकारी और निजी क्षेत्र के बैंक इन ई-कॉमर्स दिग्गजों के साथ सांठ-गांठ कर रहे हैं और सरकार की मंशा और नीति के खिलाफ ई कॉमर्स व्यापार को खराब करने पर इन कंपनियों की मदद कर रहे हैं ।
श्री पारवानी ने कहा कि देश में इस बारे में कानून का राज स्थापित करने के लिए पद नीति के प्रेस नोट नंबर 2 के स्थान पर एक नया प्रेस नोट जारी किया जाए जिसमें तमाम उल्लंघन के मार्गों को अवरुद्ध किया जाए। इस बारे में वाणिज्य मंत्री श्री पीयूष गोयल की पहल पर नए प्रेस नोट का मसौदा तैयार हुआ है जिसे तत्काल जारी किया जाए। उन्होंने अपराधियों के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई करने और ई-कॉमर्स व्यापार के लिए संरचित विकास के लिए एक मजबूत ई-कॉमर्स नीति को परिभाषित करने के अधिकार के साथ विधिवत रूप से सशक्त ई-कॉमर्स व्यापार को विनियमित करने और निगरानी करने के लिए एक रेगुलेटरी अथॉरिटी के गठन की आवश्यकता पर बल दिया।

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