इजरायल और हमास में जारी युद्ध के बीच ईरान ने अमेरिका को लेकर बड़ा दावा किया है। रिपोर्ट के मुताबिक, ईरानी अधिकारी ने कहा कि इस संघर्ष में यूएस पहले ही शामिल हो चुका है और निश्चित तौर पर उसकी जिम्मेदारी तय होनी चाहिए। अधिकारी से पूछा गया कि अगर अमेरिका ने दखल दिया तो क्या तेहरान भी इसमें शामिल होगा? इसके जवाब में ईरानी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता नासिर कनानी ने कहा, ‘ईरान का मानना है कि US पहले ही इजरायल और फिलिस्तीन विवाद में सैन्य तौर पर शामिल हो चुका है। अमेरिका के सपोर्ट से ही यहूदी शासन की ओर से अपराधों को अंजाम दिया जा रहा है। इसके लिए वाशिंगटन को जवाबदेह ठहराया जाना चाहिए।’
अमेरिका अपने नए एयरक्राफ्ट कैरियर (दुनिया का सबसे बड़ा) को पहले ही पूर्वी भूमध्यसागर में तैनात कर चुका है। आने वाले कुछ दिनों में यहां पर एक और अमेरिकी एयरक्राफ्ट कैरियर की तैनाती होनी है। यूएस के विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने यह जानकारी दी। उन्होंने कहा कि एयरक्राफ्ट की तैनाती किसी को उकसावा देने के लिए नहीं, बल्कि सुरक्षा के लिहाज से की गई है। ब्लिंकन का यह बयान ईरान के विदेश मंत्री की उस चेतावनी के बाद आया जिसमें उन्होंने कहा कि इजरायल को फिलिस्तीनियों के खिलाफ आक्रामकता रोकनी होगी। उन्होंने कहा कि अगर ऐसा नहीं हुआ तो क्षेत्र में और भी मोर्चे हैं जो कार्रवाई के लिए तैयार हैं।
युद्ध के विस्तार की जिम्मेदारी यूएस-इजरायल की: ईरान
ईरान के विदेश मंत्री होसैन अमीराबदोल्लाहियान ने कतर में हमास नेता इस्माइल हनियेह से मुलाकात की। इस दौरान उन्होंने इजरायल में समूह के घातक हमलों पर चर्चा की और टारगेट हासिल करने के लिए सहयोग जारी रखने पर सहमति जताई। ईरानी लीडर ने कहा, ‘क्षेत्र में प्रतिरोध के नए मोर्चों के उभरने और युद्ध के विस्तार की जिम्मेदारी सीधे तौर पर अमेरिका और इजरायल की होगी।’ वहीं, ईरान के राष्ट्रपति इब्राहिम राइसी ने फ्रांस के अपने समकक्ष इमैनुएल मैक्रों से फोन कॉल पर बातचीत की। इस दौरान उन्होंने फिलिस्तीनियों के उत्पीड़न को रोकने में फ्रांस से मदद करने की अपील की। उन्होंने कहा, ‘अगर यहूदी शासन की ओर से हत्याओं और गाजा की नाकेबंदी सहित दूसरे अपराध नहीं रोके गए तो स्थिति विकराल हो जाएगी।’