विशेषज्ञों का कहना है कि दो दशक के भीतर मलेरिया बीमारी का नाम दुनिया से मिट जाएगा। दरअसल, सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के सहयोग से विकसित मलेरिया रोधी टीके आर21/मैट्रिक्स से यह संभव हो सकेगा। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने हाल में इस टीके को स्वीकृति दी है। ऑक्सफोर्ट यूनिवर्सिटी के एक विश्लेषण में यह दावा किया गया है।
ऑक्सफोर्ट यूनिवर्सिटी के जेनर इंस्टीट्यूट के निदेशक और प्रमुख विश्लेषक एड्रियन हिल ने कहा, ‘हमें उम्मीद है कि यह टीका वर्ष 2040 तक दुनिया से मलेरिया को मिटाने में कारगर साबित होगा। परीक्षण के दौरान पता चला है कि यह टीका मलेरिया के प्रकोप को 75 फीसदी तक कम कर सकता है। इसलिए अगले दो दशक में इस वैक्सीन को गेमचेंजर की तरह देखा जा रहा है। इसका निर्माण सस्ते में और बड़े पैमाने पर किया जा सकता है’।
कितना उत्पादन करना होगा
एड्रियन हिल ने कहा, ‘अफ्रीका मलेरिया से सबसे प्रभावित महाद्वीप है। यहां हर साल चार करोड़ बच्चे मलेरिया क्षेत्रों में पैदा होते हैं। यह टीका 14 महीने में चार डोज वाला है। ऐसे में हर साल 16 करोड़ टीकों का उत्पादन करना होगा। हर क्षेत्र या महाद्वीप के हिसाब से यह आंकड़ा अलग हो सकता है’। वहीं, यूनिसेफ की रिपोर्ट के मुताबिक, सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया और ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी मिलकर करोड़ों वैक्सीन का उत्पादन करने में सक्षम है। इसके अलावा, मलेरिया की पिछली वैक्सीन का निर्माण 60 लाख की संख्या में हर साल किया जा सकता है।
पांच डॉलर होगी कीमत
यूनिसेफ ने कहा, इस टीके का असली फायदा इसकी कीमत होगी। अनुमान है कि बड़े पैमाने पर बनाने पर इसकी कीमत पांच डॉलर रहेगी। यह सच्चाई है कि हम 100 डॉलर की कीमत वाला टीका नहीं बना सकते क्योंकि इससे गरीब देश फायदा नहीं ले सकेंगे।
100 साल में सौ टीके बने
एड्रियन हिल ने बताया, मलेरिया की वैक्सीन पर करीब सौ सालों से भी ज्यादा समय से काम चल रहा है। तब से अब तक सौ टीकों पर काम हो चुका है, जिनमें से कुछ ही कारगर साबित हो सकीं।
समय पर इलाज नहीं मिलना खतरनाक
मलेरिया वायरस या बैक्टीरिया से नहीं बल्कि एक प्रोटोजोआ परजीवी से फैलता है जो वायरस से हजारों गुना खतरनाक होता है। मलेरिया के 5500 जीन होते हैं। गंभीर स्थिति में मरीज कोमा में जा सकता है, खून की बहुत कमी हो सकती है और लाल रक्त कोशिकाओं को हानि हो सकती है। इससे उसकी मौत भी हो सकती है। मलेरिया महामारी नहीं है, ना तो इसमें संक्रमण बहुत तेजी से फैलता है और ना ही यह लाइलाज है। पर हर जगह समय पर इलाज ना मिलने से लोगों की मौत हो जाती है।