: मनरेगा और विभागीय अभिसरण से बाड़ी विकास ने बदली गुहाननाला की तस्वीर : वनाधिकार पत्र प्राप्त हितग्राही हुए लाभान्वित

63
kabaadi chacha
google.com, pub-3068255257089060, DIRECT, f08c47fec0942fa0 google.com, pub-3068255257089060, RESELLER, f08c47fec0942fa0 adbumps.com, 5628222605, DIRECT

। छत्तीसगढ़ में महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना एवं अन्य विभागीय योजनाओं के अभिसरण से भूमि का समतलीकरण कर भूमि को वृद्धि योग्य बनाया जा रहा है। धमतरी जिले के नगरी विकासखण्ड मुख्यालय से 8 किलोमीटर दूर बसे ग्राम गुहाननाला में महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना और अन्य विभागीय योजनाओं के अभिसरण से 29 एकड़ की भूमि में समतलीकरण, मेड़ बंधान के अलावा उसे कृषि योग्य और उपजाऊ बनाने के कार्य किया गया। नतीजन आज वह भूमि ना केवल उपजाऊ हो गई, बल्कि हितग्राहियों की आमदनी का जरिया बन गई है।  जिला मुख्यालय से 66 किलोमीटर दूर बसे ग्राम गुहाननाला के 20 आदिवासी परिवार की जिंदगी में बदलाव तब आना शुरू हुआ जब साल 2020-21 में इन्हें मिले वनाधिकार पत्र की 29 एकड़ की भूमि का चक तय कर मनरेगा से भूमि सुधार किया गया। इसके बाद विभागीय अभिसरण (कृषि, उद्यानिकी, क्रेडा, जिला खनिज न्यास निधि) से बाड़ी विकास का काम लिया गया।

WhatsApp Group Join Now
Telegram Group Join Now

गुहाननाला में मेड़ बंधान, समतलीकरण, फलदार और अन्य पौध रोपण, जल संरक्षण के तहत निजी डबरी निर्माण, सामुदायिक फेंसिंग,बोरवेल खनन, टपक सिंचाई इत्यादि के लगभग 28 लाख के काम स्वीकृत कर किए गए। गौरतलब है कि इसके साथ ही बतौर विभागीय अनुदान 11 लाख 16 हजार रुपए दिए गए। इन सबका नतीजा यह रहा कि जो वनाधिकार पत्र प्राप्त परिवार सीमित रोजगार मनरेगा या फिर दूसरी जगहों में मजदूरी करते थे। अब उन्हें एक स्थाई काम मिलने का मौका मिला। अब उनकी खाली और बंजर भूमि ना केवल उपजाऊ हो गई बल्कि फेंसिंग और बोर खनन से सुरक्षित और सिंचित भी हुई है। यहां वनाधिकार पत्र प्राप्त लाभान्वित हितग्राहियों ने भूमि सुधार के बाद टपक सिंचाई पद्धति और वर्मी कम्पोस्ट के प्रयोग से सब्जी-भाजी लगाना शुरू कर दिया है। इसके साथ ही उड़द, रागी का प्रदर्शन भी किया गया। हालांकि अंतरवर्तीय स्थलों में यहां रोपे गए मल्लिका आम के पौधों से फल आने मंे वक्त लगेगा, मगर हितग्राही इसकी उचित देखभाल कर रहे हैं।गुहाननाला की लाभान्वित हितग्राही श्रीमती राधिका नेताम बताती हैं कि 20 डिसमिल की भूमि में, भूमि सुधार के बाद उन्होंने सब्जियां बोई। कोविड 19 में हुए लॉकडाउन के दौरान उन्होंने 40 रूपए प्रति किलो की दर से बरबट्टी की सब्जी बेचकर सात हजार रूपए कमाए। वहीं आधे एकड़ की भूमि में श्री हीरालाल मरकाम ने विभिन्न सब्जी लगाई और उन्हें भी 40 हजार का मुनाफा हुआ। हितग्राही श्रीमती कुंती बाई कहती हैं कि आधे एकड़ की भूमि में टमाटर, बैगन, भिंडी, धनिया आदि उत्पादित कर जहां उन्हंे 17 हजार रूपए की कमाई हुई। वहीं इन सब्जियों को स्थानीय बाजार में बेचने से क्षेत्र में कुपोषण मुक्ति की दिशा में भी सहयोग मिला है। दरअसल क्षेत्र में बंजर भूमि की वजह से जिस जगह संभव होता था, केवल धान की फसल ही लगाई जाती थी। मगर भूमि की सुधार के बाद यहां हरी साग-सब्जी ना केवल आय का जरिए बनी, बल्कि ग्रामीणों ने स्वयं भी इसका सेवन किया। इससे उन्हें पौष्टिकता तो मिली ही, खाने का स्वाद भी बढ़ा।
गौरतलब है कि लाभान्वित हितग्राही श्री जयलाल, श्रीमती राजो बाई, श्री जेठुराम, श्रीमती सोनई बाई, श्री मंगल, श्री किशनलाल, श्री मानसिंह, श्री जयराम, श्री सोमारू राम, श्री चरण सिंह, श्रीमती कुमारी बाई इत्यादि ऐसे लोग हैं, जो मनरेगा और विभागीय अभिसरण से किए गए बाड़ी विकास योजना का लाभ ले रहे हैं। यह योजना इन परिवारों के आर्थिक सशक्तिकरण और जीवन स्तर में सुधार का जरिए बनी है। अब हितग्राही आधुनिक तकनीक का उपयोग खेती-बाड़ी में करने कृत संकल्पित होकर आत्मविश्वास से बढ़ रहे हैं।

IMG 20240420 WA0009
माफिया की तरह काम कर रही है केंद्र सरकार : कांग्रेस