आयोग की समझाइश पर अनावेदक पति, पत्नी सहित बच्चे को घर में रखने और मासिक वेतन देने हुआ तैयार

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त्तीर्थ यात्रा के नाम पर धोखाधड़ी का मामला आयोग ने गम्भीरता से लिया

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रायपुर/ राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष डॉ. किरणमयी नायक एवं सदस्य सुश्री शशिकांता राठौर एवं श्रीमती अर्चना उपाध्याय की उपस्थिति में आज शास्त्री चौक स्थित, राज्य महिला आयोग कार्यालय में महिलाओं से संबंधित शिकायतों के निराकरण के लिए सुनवाई की।

आज एक स्वतः संज्ञान के प्रकरण की सुनवाई में मृतिका का पति आज आयोग की सुनवाई में उपस्थित हुआ। उन्होंने बताया कि मेरी पत्नी की मौत चोट लगने के कारण हुई है।स्कोर्पियो वाहन के माध्यम से पत्नी को अस्पताल पहुंचाया गया। घटना के दिन 5 पुरुष और 1 महिला सिविल ड्रेस में हमारे घर आये थे।घर आए व्यक्तियों ने खुद को पुलिस वाला होना बताये थे। मृत पत्नी को लेकर उनका बेटा उन लोगों के साथ गाड़ी में बैठकर गया था और मृतिका के अंतिम संस्कार के 3 दिन बाद रिपोर्ट लिखाने सरायपाली थाना में आवेदक के साथ उनका बेटा और भांजा गए थे।पुलिस थाना सरायपाली में 2 लोग वही थे जो घर पर आए थे और हमे देखकर छुप गए।इस स्तर पर थाना प्रभारी ने स्वीकार किया कि पुलिस थाना में सीसीटीवी फुटेज मिल जाएगा साथ ही बताया कि थाने का प्रकरण होने के कारण इस प्रकरण की जांच एडिशनल एसपी कर रही है। आयोग की ओर से महासमुंद एडिशनल एसपी को इस सम्पूर्ण प्रकरण की जांच और सीसीटीवी फुटेज की जांच हेतु पत्र प्रेषित किया जाएगा। जिससे इस प्रकरण का निराकरण हो सके और मृतिका को न्याय मिल सके।इसके साथ ही आवेदक ने आबकारी अधिकारियों से किसी प्रकार की शिकायत नही होना बताया।इस प्रकरण से आबकारी अधिकारी को मुक्त किया गया है। आगामी सुनवाई में एडिशनल एसपी के माध्यम से वास्तविक दोषियों की शिनाख्ती कर आयोग में रिपोर्ट प्रस्तुत होने पर इस प्रकरण का निराकरण किया जा सकेगा।

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एक अन्य प्रकरण में आवेदिका ने बताया कि अनावेदक शराब पीकर मारपीट और शक करता है।इसके साथ ही बड़े बेटे की शादी के समय से घर से निकाल दिया है।वर्तमान में मैं ससुराल के घर के सामने 21 वर्षीय बेटा के साथ रहती हूं।अनावेदक रायपुर नगर निगम में राजस्व पद पर कार्य कर रहा है और मासिक वेतन 43 हजार रुपये है। दोनो पक्षों को आयोग द्वारा समझाइश दिए जाने पर अनावेदक आवेदिका और छोटे बेटे को घर मे रखने और साथ ही अपने वेतन को भी आवेदिका को देने तैयार हुआ।इस प्रकरण को निगरानी में रखते हुए आवेदिका को समझाइश दिया कि अगर पुनः अनावेदक द्वारा मारपीट गाली गलौज करता है तो आयोग को सूचित करें। इस प्रकरण को नस्तीबद्ध किया गया।इसी तरह एक अन्य प्रकरण में आवेदिका अपने ससुराल में ससुर के साथ निवास करती है और दो बच्चे का भी पालन पोषण कर रही है। ससुराल के 5 कमरों का किराया लगभग 15 से 20 हजार रुपये आता है जिसका किराया अब आवेदिका पत्नी को रखने आयोग ने निर्देशित किया गया।अनावेदक पति आवेदिका पत्नी को 10 हजार रुपये प्रतिमाह देगा।इसके साथ ही बच्चों के बड़े होने पर शैक्षणिक व्यवस्था का भी इंतजाम अनावेदक करेगा। इस प्रकरण की निगरानी 1 वर्ष तक किया जाएगा। प्रतिमाह अनावेदक और आवेदिका आयोग में उपस्थित होंगे।आयोग के इस निर्देश के साथ प्रकरण को नस्तीबद्ध किया गया।

एक अन्य प्रकरण में आवेदिका और अनावेदक के मध्य आयोग द्वारा काउंसलिंग किया गया।जिसमें अनावेदक आवेदिका के कमाई पैसे से शराब पीता था। आवेदिका जब शराब के लिए पैसे नही दिए तो अनावेदक आवेदिका के मालिक के घर चला गया और आवेदिका को बदनाम किया और गांव के समाज के लोगो से दबाव डालकर आवेदिका को अपने घर से निकलकर आवेदिका के मालिक के घर रहने को को मजबूर कर दिया है। यह मानसिक प्रताड़ना का शर्मनाक उदाहरण है।जिसमे एकसाथ आवेदिका के साथ मालिक और उनकी पत्नी को भी मानसिक प्रताड़ना किया जा रहा है।आवेदिका के मालिक को आयोग ने निर्देशित किया कि जो आपको मानसिक प्रताड़ना कर रहे है उनकी पूरी जानकारी आयोग को दे।जिससे उन्हें आगामी सुनवाई में बुलाया जा सके और उनके विरुद्ध कड़ी कार्यवाही किया जा सके। इस प्रकरण को आगामी सुनवाई में रखा गया है।इसी तरह एक प्रकरण में दोनो पक्ष एक दूसरे के विरुद्ध एफआईआर दर्ज कराए है। आयोग ने दोनो को समझाइश दिया।आवेदिका सास ने बताया कि अनावेदिका बहु ने अपने दोनो बच्चों को मेरे पास छोड़ दिये हैं और अपने 16 वर्ष के बच्चे से मारपीट भी किया था। जिसका फोटो आयोग को आवेदिका ने दिया है।यही शिकायत आयोग से की है। अनावेदक बेटा उस दिन अपने स्कूल पर था।घटना स्थल पर नही था। इस प्रमाण के साथ अनावेदिका कि ओर से आवेदिका के विरुद्ध शिकायत किया था। तीन वर्ष पूर्व भी आवेदिका शिकायत कर चुकी है जिसमे दोनो पक्ष में समझौता हो गया था।यह प्रकरण न्यायालय में विचाराधीन होने के कारण यह प्रकरण महिला आयोग के क्षेत्राधिकार से बाहर हो गया।इस प्रकरण को नस्तीबद्ध किया गया।

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एक अन्य प्रकरण में आवेदिका ने बताया कि तीर्थ यात्रा के नाम पर अनावेदकों ने 35 हजार 5 सौ रुपये लिया गया था। उसके बाद चार धाम यात्रा में हरिद्वार और केदारनाथ को छोड़कर शेष सभी स्थान पूर्णतः अव्यवस्था थी और जो यात्रा के बारे में भरोसा दिलाया गया था उन सभी सुविधाओं के लिए आवेदिका को अलग से खर्च करना पड़ा। जिसमे आवेदिका के 24 हजार रुपये खर्च हो गए। अनावेदकों का कथन है कि उन्होंने सभी व्यवस्थाएं अपनी शर्तों के अनुरूप पूरा किया है और कोई भी व्यवस्था खराब नही थी। आयोग ने इस प्रकरण को गम्भीरता से लेते हुए दोनो पक्षो को सम्पूर्ण दस्तावेज, वीडियो, फोटो के साथ आगामी सुनवाई में लाने कहा गया है, जिससे इस प्रकरण का निराकरण किया जा सकेगा।

 

आज जनसुनवाई में 36 प्रकरण रखे गए थे जिसमें 11 प्रकरण को नस्तीबद्ध किया गया है।

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