बिना तलाक के दूसरी पत्नी अवैध, आयोग ने दूसरी पत्नि को नारी निकेतन रायपुर भेजने दिये निर्देश

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गरियाबंद। छत्तीसगढ़ राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष डॉ. किरणमयी नायक ने  सदस्य डॉ अनीता रावटे की मौजूदगी में कलेक्ट्रेट सभागार गरियाबंद में महिला उत्पीड़न से संबंधित प्रकरणों पर जनसुनवाई की। आयोग की अध्यक्ष डॉ नायक की अध्यक्षता में आज 170 वीं जन सुनवाई हुई। आज की जनसुनवाई में कुल 24 प्रकरण सुनवाई के लिए रखे गये थे, जिसमें 13 प्रकरण नस्तीबद्ध किये गये। साथ ही 2 प्रकरण महिला आयोग रायपुर कार्यालय मे स्थानांतरित किये गये। कार्यवाही के दौरान सभापति महिला एवं बाल विकास श्रीमती मधुबाला रात्रे, परियोजना अधिकारी श्री चन्द्रहास साहू, जिला बाल संरक्षण अधिकारी मिशन वात्सल्य श्री अनिल द्विवेदी, संरक्षण नवा बिहान श्रीमती लता पटेल एवं केन्द्र प्रशासक सखी वन स्टॉप सेंटर श्रीमती रेवती यादव उपस्थित रहे।

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सुनवाई के दौरान एक प्रकरण में आवेदिका ने बताया कि लगभग 12 वर्ष पूर्व उसका विवाह अनावेदक प्रभाकर साहू के साथ हुआ था। जिसके दो बच्चे है। बड़ा बेटा 9 साल और 8 साल की बेटी है। लगभग 10 माह पूर्व अनावेदक के मारपीट के कारण वह अपने मायके मे है। बेटी आवेदिका के पास है और बेटा अनावेदक के पास है। अनावेदक से पूछे जाने पर उसने बताया कि आवेदिका के जाने के 2 माह बाद उसने एक लड़की को अपने घर में पत्नि की तरह रखा है। अनावेदक प्रभाकर का कहना है कि उसने मंदिर मे मांग भरकर शादी किया है। अनावेदक के माता पिता का कहना है कि अनावेदक उनसे अलग रहता है। लेकिन बेटे का पालन पोषण कर रहा है। आयोग की अध्यक्ष ने कहा कि बिना तलाक के दूसरी पत्नी रखना अवैध है। अनावेदक प्रभाकर द्वारा आयोग की सुनवाई के दौरान धमकी दिया गया कि वह दूसरी लड़की जिसको उसने अवैध रूप से पत्नी बना कर रखा है उसके बिना जिंदा नही रहेगा और मर जायेगा। सुनवाई के दौरान प्रभाकर द्वारा आत्महत्या की धमकी देने पर आयोग की अध्यक्ष डॉ नायक ने तत्काल कार्यवाही करते हुए अनावेदक प्रभाकर को गरियाबंद थाना प्रभारी के सुपुर्द किया। साथ ही अनावेदक के विरूद्ध आत्महत्या की धमकी देने पर एफआईआर दर्ज करने के भी निर्देश दिये। डॉ नायक ने एफआईआर की कार्यवाही पूर्ण कराने आयोग की क्लर्क सुश्री टोप्पो, परियोजना अधिकारी श्री चन्द्रहास साहू को निर्देशित किया। उसके उपरांत आवेदिका को समझाईश देकर प्रकरण रायपुर कार्यालय स्थानांरित करने के निर्देश दिये। आयोग की अध्यक्ष डॉ नायक ने सुनवाई के दौरान कहा कि दूसरी पत्नी का अनावेदक प्रभाकर के साथ रिश्ता बने रहना कानूनन और सामाजिक रीति से पूर्णतः असंवैधिनक है। जिसे बढ़ावा नहीं दिया जा सकता। चूंकी प्रभाकर और आवेदिका का तलाक नही हुआ है। अतः तथाकथित विवाह शून्य और अवैधानिक विवाह है। चूंकि अनावेदिका दूसरी पत्नी के पास रहने के लिए कोई जगह नही होने के कारण सखी सेंटर गरियाबंद के केन्द्र प्रशासक को अनावेदिका दूसरी पत्नी को अपने क्षेत्राधिकार में रखने एवं उसे रायपुर नारी निकेतन भेजने के निर्देश दिये। अनावेदिका दूसरी पत्नी को माता पिता या पूर्व पति शपथ पत्र देने पर ही उनको उनके सुपुर्द किया जा सकता है। अन्यथा उनके रहने की अस्थायी व्यवस्था नारी निकेतन रायपुर मे होगी।

अन्य प्रकरण मे आवेदिका ने अनावेदक के परिवार के विरूद्ध एफआईआर किया गया। वह लोग जमानत पर रिहा है। यह प्रकरण न्यायालय मे चल रहा है ऐसी स्थिति मे आयोग मे सुना जाना संभव नहीं है जिसके कारण प्रकरण को नस्तीबद्ध किया गया। अन्य प्रकरण में आवेदिका एवं अनावेदक दोनों शासकीय शिक्षक है। आयोग मे अवैध संबंध के प्रकरण में मामला दर्ज है। इसके अलावा दहेज प्रताड़ना के संबंध मे प्रकरण न्यायालय मे चल रहा है। आयोग की अध्यक्षता में बच्चे के भविष्य को ध्यान में रखते हुए दोनों को आपसी सुलह करने समझाईश दिया गया। इसके साथ ही प्रकरण नस्तीबद्ध किया गया।

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अन्य प्रकरण में अनावेदक पक्ष ने बताया कि गरियाबंद दीवानी न्यायालय मे प्रकरण चल रहा है। आवेदिका का कथन है कि अनावेदक के जमीन का कुछ टुकड़ा और दो अन्य लोगो के जमीन पर 50-55 लाख रूपये की लागत से मकान बना है। जिसमें ओम शांति संस्था का कार्य चलता था। और दीवाली 2020-21 मे जब आवेदिकागण माउंट आबू मे थे, तब अनावेदक ने पूरे भवन पर स्वयं का कब्जा कर रखा है। दोनो पक्ष भवन निर्माण की लागत कब व कैसे लगायी है यह बताने मे असमर्थ दिख रहे है।

आयोग की अध्यक्ष डॉ नायक ने कहा कि इसका निराकरण करने के लिए दीवानी प्रकरण और राजस्व के प्रकरण न्यायालय में चलाना उपयुक्त होगा। ताकि दोनो पक्ष अपने पर्याप्त दस्तावेज प्रस्तुत कर संपत्ति का संपूर्ण हिस्सा अलग करा सकते है। जिससे इनके प्रकरण का समाधान भी हो जायेगा।  आवेदिका को समझाईश दिया गया कि वह अपने क्षेत्रीय दीवानी न्यायालय मे अनावेदक के विरूद्ध प्रकरण दर्ज कराये और चाहे तो राजस्व न्यायालय के माध्यम से विवादित भवन का सीमंाकन करा ले जिससे उनकी सम्पत्ति का क्षेत्र सुनिश्चित हो सकेगा। इस निर्देश के आधार पर इस प्रकरण को नस्तीबद्ध किया गया। अन्य प्रकरण में अनावेदक ने बताया कि आवेदिका के स्वर्गीय पति का संविलियन नहीं हुआ था। इसलिए आवेदिका को अनुकंपा नियुक्ति की पात्रता नही है और पेंशन की पात्रता भी नही है। आवेदिका को इस तथ्य की जानकारी सुनवाई के पूर्व मिल चुकी थी।

वर्तमान मे आवेदिका आंगनबाड़ी कार्यकर्ता के रूप मे कार्यरत है। और वह 6500रू. मासिक वेतन प्राप्त कर रही है। जिससे उसका जीवनयापन हो रहा है। अनावेदक पक्ष को समझाईश दिया गया कि शासन के योजनाओं के तहत आवेदिका को नगर पालिका बागबाहरा में कोई गुमटी, ठेला, या रोजगार का कोई साधन में सहयोग करें। इस निर्देश के साथ प्रकरण को नस्तीबद्ध किया गया।