हनीमून पर सिक्किम गए नवदंपती लापता, 13 दिन बाद भी नहीं मिला सुराग, परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल

प्रतापगढ़। उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ जिले से हनीमून मनाने सिक्किम गए नवविवाहित जोड़े—कौशलेंद्र प्रताप सिंह और अंकिता सिंह—की गुमशुदगी को 13 दिन बीत चुके हैं, लेकिन अब तक उनका कोई सुराग नहीं मिल पाया है। 29 मई की रात को हुआ हादसा आज भी दोनों परिवारों के लिए एक दर्दनाक पहेली बना हुआ है, जिसका कोई जवाब नहीं मिल सका है।

कौशलेंद्र प्रताप सिंह (29) और उनकी पत्नी अंकिता सिंह (26) की शादी 5 मई को संपन्न हुई थी। शादी के कुछ ही दिनों बाद 24 मई को दोनों हनीमून मनाने के लिए सिक्किम रवाना हुए थे। 29 मई की रात जब वे उत्तर सिक्किम के मंगन जिले के चुंगथांग इलाके से गंगटोक लौट रहे थे, तभी उनका टूरिस्ट वाहन अचानक फिसलकर करीब 1000 फीट गहरी खाई में जा गिरा और तीस्ता नदी में समा गया।

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हादसे में एक की मौत, दो घायल और आठ सैलानी लापता
उस रात के दर्दनाक हादसे में एक सैलानी की मौत हो गई थी और दो लोग गंभीर रूप से घायल हुए थे। लेकिन आठ लोग अब भी लापता हैं, जिनमें प्रतापगढ़ के कौशलेंद्र और अंकिता भी शामिल हैं। घटना के बाद से एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, स्थानीय पुलिस और सेना के जवान लगातार रेस्क्यू अभियान चला रहे हैं, लेकिन मौसम की खराबी के कारण अभियान में रुकावटें आती रहीं।

अब तक नहीं मिला कोई ठोस सुराग
हालांकि, राहत व बचाव दल को कुछ संकेत जरूर मिले हैं। वाहन के कुछ हिस्से जैसे पहिया, साइलेंसर और कुछ कपड़े घटनास्थल के आसपास से बरामद किए गए हैं, लेकिन इनमें से कोई भी कपड़ा कौशलेंद्र का नहीं बताया गया है। यह बात परिजनों की चिंता और बढ़ा रही है।

हादसे की रात भारी बारिश बनी काल
घटना के समय क्षेत्र में भारी बारिश हो रही थी। बताया जाता है कि सड़कें बेहद फिसलन भरी थीं। रात लगभग 9 बजे जब वाहन गंगटोक की ओर लौट रहा था, तभी वह बेकाबू होकर तीस्ता नदी की ओर गिर गया। प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक, वाहन में सभी सवार सैलानी बेहद डरे हुए थे, लेकिन उन्हें बचाने का कोई मौका नहीं मिल सका।

परिजन लौटे घर, प्रशासन से लगाई गुहार
कौशलेंद्र के पिता शेर बहादुर सिंह और अंकिता के भाई सौरभ सिंह समेत अन्य परिजन घटनास्थल पर पहुंच गए थे और उन्होंने राहत कार्यों की निगरानी की। शेर बहादुर सिंह ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग को पत्र लिखकर राहत टीम की संख्या बढ़ाने की मांग की है। साथ ही उन्होंने सोशल मीडिया के माध्यम से उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से भी मदद की अपील की है।

मंगलवार शाम को परिजन निराश होकर अपने घर वापस लौट आए हैं। उनके लौटते समय घर का माहौल बेहद गमगीन था। परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल है। वहीं गांववालों में भी इस घटना को लेकर गहरा शोक है।

एकमात्र संतान था कौशलेंद्र
सबसे दुखद पहलू यह है कि कौशलेंद्र अपने माता-पिता की इकलौती संतान था। वह दिल्ली में रहकर सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी कर रहा था। वहीं, उसकी पत्नी अंकिता लखनऊ के मेदांता अस्पताल में मेडिसिन विभाग में कार्यरत थीं। दोनों परिवारों को अपनी उम्मीदों और सपनों की नींव पर गर्व था, लेकिन आज वह नींव ही गुमशुदगी के अंधेरे में खो गई है।

अब भी है उम्मीद की किरण
हालांकि हादसे के इतने दिन बीत जाने के बावजूद परिजन अब भी एक उम्मीद के सहारे जी रहे हैं। उन्हें लगता है कि शायद कोई चमत्कार हो जाए और उनका बेटा-बहू सही सलामत वापस लौट आएं। स्थानीय प्रशासन भी लगातार प्रयास कर रहा है कि लापता लोगों का जल्द से जल्द पता लगाया जा सके।

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