श्री राम नहीं चाहते मंदिर बने, मंदिर बनाने के विचार से ही होने लगती है तबियत खराब

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श्री राम नहीं चाहते मंदिर बने, मंदिर बनाने के विचार से ही होने लगती है तबियत खराब
श्री राम नहीं चाहते मंदिर बने, मंदिर बनाने के विचार से ही होने लगती है तबियत खराब

सुकमा | जिले के घोर नक्सल प्रभावित कहे जाने वाले ग्राम इंजरम के ग्रामीणों को आज भी भगवान के आदेश का इंतेजार है.एनएच 30 के किनारे बसे ग्राम में रखी हजारों पुरानी भगवान राम सहित अन्य मूर्तियों को छत देने के लिए उस दिन का इंतेजार किया जा रहा है. जब भगवान श्री राम किसी पेरमा पुजारी के मुख से अपने मंदिर के लिए अनुमति देंगें. अभी हाल यहां यह है कि विचारों से ही भक्तों की तबियत खराब होने लगती है. इस खौफ से खुले आसमान के नीचे रखी मूर्तियों को मंदिर में प्रतिष्ठान करने का विचार भी नहीं किया जाता.

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सुकमा जिले राम वन गमन को लेकर पहले से ही चर्चा का बिषय है. पौराणिक कथाओं के साथ साथ लगातार मिल रहे अवशेषों में भी इस बात का की पुष्टि हो रही है कि आज से हजारों वर्ष पूर्व भगवान श्री राम इसी वनांचल क्षेंत्र से लंका गए थे. वहीं शासन भी करोड़ो रूपए खर्च कर राम मंदिर को संवारने की दिशा में कार्य कर रही है.

जब तक भगवान नहीं बोलेंगे तब तक मंदिर नहीं बनेगा

ग्रामवासी व वहां के पुजारी आज भी भगवान श्री राम के आदेश का इंतेजार कर रहे है. गाँव के पंड़ा परिवार के सदस्य वर्षों से उक्त स्थान की पूजा कर रहे हैं. उन्होंन बताया कि इजरम में जब भी मंदिर की स्थापना का काम शुरू होता है तो यहां काम करने वाले मजदूर बीमाप पड़ जाते हैं. जब तक भगवान श्री राम किसी पेरमा पुजारी या सिरहा के मुख से अनुमति नहीं देंगे तब तक यहां मंदिर नहीं बन पाएगा. वर्तमान में चार दीवारियों के बीच मूर्तियाँ रखी हुई है. यहां आस पास के ग्रामीण इसकी पूजा करते हैं.

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