श्रीमद् भागवत कथा के षष्ठम दिवस में महाराजश्री अनिरुद्धाचार्य जी ने विस्तार से पूछा-रास लीला क्या है? इसे उन्होंने विस्तार से समझाया

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भागवत कथा के षष्ठम दिवस में महाराजश्री अनिरुद्धाचार्य जी ने विस्तार से पूछा रास लीला
भागवत कथा के षष्ठम दिवस में महाराजश्री अनिरुद्धाचार्य जी ने विस्तार से पूछा रास लीला
kabaadi chacha

रायपुर। श्री अनिरुद्धाचार्य जी महाराजश्री की अवधपुरी मैदान गुढ़ियारी में स्व. श्री सत्यनारायण बाजारी जी (मन्नू भाई) की पुण्य स्मृति में आयोजित श्रीमद् भागवत कथा के षष्ठम दिवस महाराजश्री द्वारा प्रभु श्री गौरी-गोपाल जी को पुष्प माला अर्पित कर आरती से की गई. आरती में आयोजक कृष्णा बाजारी परिवार, ओमप्रकाश मिश्रा एवम् समिति के प्रमुख पदाधिकारीगण शामिल हुए.
कथा का आरंभ करते हुए महाराजश्री ने कहा कि प्रमुख देवताओं के अपने-2 लोक हैं. प्रभु श्री कृष्ण गौ-लोक में निवास करते हैं क्योंकि उन्हें गायों अत्यधिक प्रेम है. हम सभी मृत्यु लोक में रहते हैं. महाराजश्री ने पूछा-रास लीला क्या है? इसे उन्होंने विस्तार से समझाया. भक्त और भगवान का मिलन ही रास लीला है. जीव और परमात्मा का मिलन रास लीला है. जिस मिलन में सारे भाव समाहित हों वो रास लीला है. महाराजश्री ने पूछा-कर्म और धर्म में बड़ा कौन? उन्होंने बताया कि धर्म बड़ा है क्योंकि धर्म कभी अनीति के मार्ग में चलना नहीं सिखाता. कर्म अच्छा-बुरा दोनों होता है परंतु जब हम अपने कर्मों को धर्म से जोड़ेंगे तभी सही कर्म कर पाते हैं. व्यक्ति का संस्कारी होना आवश्यक है.

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संस्कारी ही चरित्रवान होता है. पूर्व में भारतीय नारियां जौहर किया करती थीं क्योंकि मुगल शासक युद्ध जीतने पर उनसे दुष्कृत्य किया करते थे. हजारों सनातनी नारियां अपने चरित्र पर आंच आने से पूर्व ही जौहर कर लिया करती थीं. प्रभु श्रीराम सहित देश के अनेक महात्मा, महापुरुष अपने चरित्र पर कभी आँच नहीं आने दिये. रानी लक्ष्मी बाई अल्पायु में भी वीरता से युद्ध करते हुए वीर गति को प्राप्त हुई पर अपने चरित्र को ओजस्वी रखीं. महाराजश्री ने धर्म को समझाते हुए बताया कि यह सामान्य, विशेष, विशेषत्तर एवम् विशेषत्तम में विभक्त है. उन्होंने सनातनियों से अपने धर्म से जुड़े रहने का आह्वान किया. युवा पीढ़ी को समझाईश देते हुए कहा कि विधर्मी विवाह जीवन को नष्ट कर देता है अत: इससे बचना आवश्यक है, यह अन्य धर्मों की साजिश है जिसके परिणाम भयावह होते हैं.

जीवन मेरा बीत गया, कर दो भव सागर पार…!!
एक डोली चली, एक अर्थी चली…!!
आज मेरे श्याम की शादी है…!!
आमा पान के पतरी, करेला पान के दोना ओ…!!
कथा के मध्य इन भजनों ने श्रद्धालुओं को बांधे रखा. वे नाचते-झूमते आनंदित होते रहे.
कार्यक्रम की व्यवस्था में ओमप्रकाश पप्पू मिश्रा, ओमकार बैस, विकास सेठिया, नितिन कुमार झा, दीपक अग्रवाल, अभिषेक अग्रवाल, सौरभ मिश्रा, वीरेन्द्र पारख, संजय मित्तल, शैलेष शर्मा, रीतेश राठौर सहित सैकड़ों पदाधिकारी एवम् कार्यकर्तागण सक्रिय रहे. उक्त जानकारी मीडिया प्रभारी नितिन कुमार झा ने दी.

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