“मार्गशीर्ष पूर्णिमा: जानें अन्नपूर्णा जयंती के दिन की पूजा विधि और महत्व” 

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"मार्गशीर्ष पूर्णिमा: जानें अन्नपूर्णा जयंती के दिन की पूजा विधि और महत्व" 
kabaadi chacha

हिंदू पंचांग के मुताबिक मार्गशीर्ष माह की पूर्णिमा तिथि को अन्नपूर्णा जयंती मनाई जाती है. धार्मिक मान्यता के मुताबिक पूर्णिमा तिथि के दिन माता पार्वती के स्वरूप मां अन्नपूर्णा धरती पर प्रकट हुई थी. मान्यता है कि इस दिन पूजा आराधना करने से जातक को जीवन में शुभ फल की प्राप्ति भी होती है और अन्य के भंडार भरे रहते हैं. इसके अलावा अन्नपूर्णा जयंती के दिन माता पार्वती की पूजा आराधना करने का विधान है.

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पूजन विधि

इस वर्ष 26 दिसंबर से पूर्णिमा तिथि का प्रारंभ हो रहा है जो सुबह 5:46 से शुरू हो रहा है. जिसका समापन 27 दिसंबर सुबह 6:02 पर होगा. अन्नपूर्णा जयंती के दिन सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान ध्यान करना चाहिए. उसके बाद साफ वस्त्र धारण करना चाहिए. गंगाजल का छिड़काव करना चाहिए. चूल्हे पर कुमकुम हल्दी चावल और फूल अर्पित करना चाहिए. साथ ही धूप जलाना चाहिए.

इसके बाद भगवान शंकर माता पार्वती की पूजा आराधना करनी चाहिए. गरीब असहाय लोगों को इस दिन भोजन करना चाहिए. मान्यता के मुताबिक माता अन्नपूर्णा की कृपा से घर में सदैव अन्य के भंडार भरे रहते हैं. घर में हमेशा सुख समृद्धि बनी रहती है. माता अन्नपूर्णा की पूजा करने से आर्थिक तंगी से भी छुटकारा मिलता है.

 

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