आज मासिक शिवरात्रि के दिन इस शुभ मुहूर्त में करें पूजा

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kabaadi chacha

हिंदी पंचांग के अनुसार प्रत्येक माह की चतुर्दशी तिथि के दिन मासिक शिवरात्रि का व्रत रखा जाता है और यह व्रत देवो के देव महादेव को समर्पित है. इस दिन महादेव का रुद्राभिषेक करने से जीवन में आ रही सभी कष्टों से मुक्ति मिलती है. आज यानि 8 फरवरी को माघ माह की मासिक शिवरात्रि है और इस दिन भगवान शिव का विधि-विधान से पूजन करना चाहिए. यह पूजन सूर्यास्त के बाद रात्रि के समय करना ही शुभ माना गया है. इस दिन व्रत रखने का भी विधान है और व्रत के दौरान मासिक शिवरात्रि कथा अवश्य पढ़नी चाहिए.

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माघ शिवरात्रि तिथि

माघ माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि आरंभ:  08 फरवरी, गुरुवार, प्रातः 11:17 मिनट पर. माघ माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि समाप्त: 09 फरवरी, शुक्रवार, प्रातः 08:02 मिनट पर. माघ शिवरात्रि के लिए निशिता मुहूर्त 8 फरवरी को प्राप्त हो रहा है, इसलिए माघ की मासिक शिवरात्रि 8 फरवरी गुरुवार को मनाई जाएगी.

पूजा मुहूर्त

निशिता मुहूर्त: देर रात 12 बजकर 09 मिनट से 01 बजकर 01 मिनट तक है. उस दिन आपको शिव पूजा के लिए करीब 1 घंटे का शुभ समय प्राप्त होगा.

सिद्धि योग

माघ शिवरात्रि के दिन सुबह से ही सिद्धि योग बन रहा है, जो रात 11 बजकर 10 मिनट तक रहेगा. जो लोग दिन में पूजा करना चाहते हैं, वे सिद्धि योग में शिवरात्रि पूजा करेंगे.  मासिक शिवरात्रि के दिन उत्तराषाढा नक्षत्र प्रातःकाल से लेकर देर रात 02 बजकर 09 मिनट तक है.

माघ शिवरात्रि के दिन का ब्रह्म मुहूर्त प्रातः 05 बजकर 21 मिनट से लेकर सुबह 06 बजकर 13 मिनट तक है. अभिजीत मुहूर्त दोपहर 12:13 से दोपहर 12:57 तक है.

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मासिक शिवरात्रि व्रत का महत्व

शिव पुराण में बताया गया है कि चौदस का व्रत करने से भगवान शिव की कृपा से शुभ फल की प्राप्ति होती है. शिवरात्रि शिव और शक्ति के मिलन का प्रतीक पर्व है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, भगवान शिव की कृपा व्रत रखने वाले भक्तों की किस्मत बदल सकती है. माना जाता है कि जिन लोगों की शादी में दिक्कत आ रही है, वे उनके आशीर्वाद से बाधाओं को दूर कर लेते हैं.

मासिक शिवरात्रि की पूजा रात में क्यों की जाती है

पौराणिक मान्यताओं और शिव पुराण के अनुसार, प्रत्येक मासिक शिवरात्रि व्रत के दिन रात के चार प्रहर (चार भाग) के दौरान भगवान शिव की पूजा करने की परंपरा है. ऐसा माना जाता है कि भगवान शिव का देवी पार्वती से विवाह चतुर्दशी की रात्रि में हुआ था. रात के दौरान, अभ्यासकर्ता एकाग्रता के साथ शिव ध्यान पर ध्यान केंद्रित करने में सक्षम होते हैं, जिससे आधी रात का समय शिव लिंग पूजा के लिए सबसे अच्छा समय बन जाता है.

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