क्या आप जानते है ट्रेन के दरवाजे के पास वाली खिड़की में ज्यादा लोहे की रॉड क्यों होती है?
आप सभी लोगो ने ट्रेनों में सफर रो किया ही होगा। भारतीय रेलवे को हमारे देश की लाइफलाइन भी कहते है।ट्रेन से लाखो लोग एक जगह से दूसरी जगह तक की अपनी यात्रा करते है क्योंकि यात्रा के लिए ट्रेन सस्ता और सुगम है। ऐसे में आपने भी अपने जीवन में कम से कम एक बार ट्रेन से यात्रा तो की होगी। लेकिन यात्रा के दौरान क्या आपने कभी यह सोचा है की ट्रेन के डिब्बे के प्रवेश द्वार के पास की खिड़किया बाकी खिड़कियों से अलग क्यों है ?? क्यों उन खिड़कियों में बाकि खिड़कियों के मुकाबले ज्यादा रॉड लगी होती है ?? तो आइये जानते है इसके पीछे की खास वहज के बारे में
भारतीय रेल के जनरल और स्लीपर डिब्बों में दरवाजे के पास वाली खिड़की में अन्य खिड़कियों की अपेक्षा अधिक रौड्स इसलिऐ लगे होते हैं कि जब गाड़ी रेलवे प्लेटफॉर्म के अलावा बाहरी सिगनल (आउटर/ होम) पर रुकती थी तो नीचे जमीन पर खड़े होकर किसी का हाथ खिड़कियों तक नहीं पहुँचता है। लेकिन दरवाजे के बगल वाली पहली खिड़की पर, दरवाजा बन्द हो तब भी कोई आसामाजिक तत्व फुटस्टेप पर चढ़कर पहली खिड़की के अन्दर हाथ डालकर यात्री का सामान (मोबाइल, लेडीज हैन्ड पर्स आदि) चोरी कर सकता था या करते थे। कुछ मनचले महिला यात्रियों के साथ अभद्र व्यवहार भी कर जाते थे। यदि वो सो रही है तो उनके गले से चैन भी खीच लेते थे।
ऐसे में इस तरह की चोरी को रोकने के लिए और यात्रियों को इन चोरो से बचाने के लिए इस खिड़की में बाकि खिड़कियों के मुकाबले ज्यादा बार लगाए जाते है। जब से ऐसा किया गया है तब से ट्रेन में चोरी के मामले कम होने लगे है।