30 साल की उम्र में शुरू की थी UPSC की तैयारी, बैंकर से बने IAS अधिकारी

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30 साल की उम्र में सौरभ भुवानिया RBI में एक ऊंचे पद पर नैकरी कर रहे थे। जिसके बाद उन्होंने नौकरी के साथ ही यूपीएससी की परीक्षा की तैयारी शुरू कर दी। ये परीक्षा उन्होंने दूसरे प्रयास में 113 रैंक के स

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फुल-टाइम नौकरी के साथ यूपीएससी की परीक्षा करना कठिन है, लेकिन कुछ होनहार उम्मीदवार ऐसे होते हैं, जो सही तैयारी और अपनी सूझबूझ से यूपीएससी की परीक्षा पास कर लेते हैं। आज हम बात कर रहे हैं, आईएएस अधिकारी सौरभ भुवानिया के बारे में, जिन्होंने नौकरी के साथ यूपीएससी की परीक्षा 113 रैंक के साथ पास की है।

झारखंड के दुमका के रहने वाले, सौरभ भुवानिया ने कोलकाता के सेंट जेवियर कॉलेज से बिजनेस विषय में ग्रेजुएशन की डिग्री ली थी।। इसके बाद उन्होंने चार्टर्ड अकाउंटेंट (CA) और कंपनी सेक्रेटरी बनने के लिए कोर्स पूरा किया। फिर साल 2015 में, सौरभ ने दिल्ली विश्वविद्यालय के फैक्लटी ऑफ मैनेजमेंट स्टडीज से MBA किया। जिसके बाद उनका सिलेक्शन RBI में हुआ। यहां पर वह मैनेजर के पद पर कार्यरत थे।

कुछ समय बाद उन्हें महसूस हुआ कि वह UPSC की परीक्षा देना चाहते हैं और  फिर इस परीक्षा की तैयारी शुरू कर दी। साल 2017 में सौरभ ने पहली बार यूपीएससी की परीक्षा दी। हालांकि पहली बार में वह असफल हुए। एक इंटरव्यू में उन्होंने बताया, राइटिंग में एक्सपीरियंस कम होने के वजह से वह परीक्षा को क्लियर नहीं कर पाए थे। जिसके बाद उन्होंने अपनी राइटिंग स्किल पर काफी काम किया और साल 2018 में यूपीएससी की परीक्षा में फिर से शामिल हुए। इस बार उनकी मेहनत रंग लाई और उन्होंने परीक्षा पास कर ली।

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30 साल की उम्र में शुरू की थी UPSC की तैयारी

सौरभ की उम्र उस समय 30 साल की थी, जब उन्होंने यूपीएससी की तैयारी शुरू की। जहां आमतौर पर 30 साल की उम्र तक हर इंसान फाइनेंशियली और प्रोफेशनली सेटल होना चाहते हैं, वहीं इसी उम्र में सौरभ ने यूपीएससी परीक्षा की तैयारी शुरू कर दी। वह नहीं जानते थे कि इस परीक्षा में सफल होंगे और या नहीं, लेकिन उन्होंने एक अच्छी जॉब होने के बावजूद उन्होंने परीक्षा की तैयारी शुरू कर दी थी।

वहीं IAS अधिकारी बनने के इस सफर में सौरभ को उनके  पिता और पत्नी का पूरा सपोर्ट मिला था। सौरभ ने मीडिया से बातचीत में कहा  था कि उन्हें आरबीआई के लिए काम करने में मजा आया था,  हालांकि, वह नागरिकों की भलाई में सीधे योगदान देना चाहते थे, जिसके लिए उन्होंने यूपीएससी की परीक्षा को चुना था।